घर में काम करने वाली 16 साल की बच्ची और 65 वर्षीय बुजुर्ग मालिक एक साथ फंदे पर लटके मिले,सुसाइड नोट भी बरामद

बीकानेर के नोखा में 16 अप्रैल 2025 को एक नाबालिग बालिका और एक बुजुर्ग के फंदे पर लटके मिलने की घटना ने न केवल इलाके को हिलाकर रख दिया, बल्कि सामाजिक नींव पर सवाल उठा दिए। एक रहस्यमय सुसाइड नोट, कथित अनैतिक संबंधों की अफवाहें और हत्या के गंभीर आरोपों ने इस घटना को एक जटिल पहेली बना दिया है। नाबालिग के परिजनों के आक्रोश और पुलिस की गहन जांच के बीच यह सवाल गूंज रहा है—क्या यह आत्महत्या थी, सुनियोजित हत्या, या हमारे समय के टूटते सामाजिक मूल्यों की भयावह तस्वीर? सीसीटीवी फुटेज और एफएसएल की रिपोर्ट इस काले सच को उजागर करने की कुंजी हो सकती है।

घर में काम करने वाली 16 साल की बच्ची और 65 वर्षीय बुजुर्ग मालिक एक साथ फंदे पर लटके मिले,सुसाइड नोट भी बरामद

जहाँ एक तरफ़ हम रिश्तों की मर्यादा और नैतिकता की दुहाई देते है, और दूसरी तरफ़ कुछ घटनाएँ दिल को झकझोर के रख देती है । बीकानेर के नोखा में एक ऐसी घटना ने दस्तक दी है, जो न केवल दिल दहलाती है, बल्कि हमारे समय की असहज सच्चाई को नंगा करती है। एक 16 साल की बालिका और 65 वर्षीय एक रिटायर्ड बुजुर्ग, दोनों एक साथ कमरे में फाँसी के फंदे पर लटके मिले। क्या यह महज आत्महत्या थी, या इसके पीछे छिपा है कोई ऐसा काला सच, जो समाज की नींव को हिला दे? एक रहस्यमय सुसाइड नोट की चुप्पी, कथित अनैतिक संबंधों की फुसफुसाहट और परिजनों के हत्या के आरोपों ने इस घटना को सनसनीखेज बना दिया। नोखा की गलियों में गुस्सा, आंसुओं में डूबा दर्द और सवालों का सैलाब—यह कहानी सिर्फ दो मौतों की नहीं, बल्कि एक सामाजिक टूटते ताने-बाने की है। आखिर, क्या है इस भयावह रहस्य का सच?

16 अप्रैल 2025 की सुबह, नोखा के जोरावरपुरा क्षेत्र में गट्टानी स्कूल के पीछे का मंजर किसी के भी रोंगटे खड़े कर देने वाला था। एक 16 वर्षीय नाबालिग बालिका और एक रिटायर्ड बुजुर्ग के शव एक ही रस्सी के सहारे फंदे पर लटके मिले। खबर जंगल की आग की तरह फैली, और देखते ही देखते पूरा नोखा सन्नाटे और सनसनी के साये में डूब गया। स्थानीय लोगों की भीड़, परिजनों का चीत्कार और पुलिस की भागदौड़ ने इस घटना को और गहरा कर दिया। नोखा थाना पुलिस, वरिष्ठ अधिकारी और फॉरेंसिक साइंस लैब (एफएसएल) की टीमें तुरंत मौके पर पहुंचीं। मौके से एक सुसाइड नोट बरामद हुआ, लेकिन उसमें क्या लिखा है, यह अभी तक एक रहस्य बना हुआ है। सीसीटीवी कैमरों की डीवीआर और अन्य साक्ष्यों को एफएसएल को सौंपा गया है, जिनकी जांच इस मामले की परतें खोलने की उम्मीद जगाती है। लेकिन सवाल यह है—क्या यह सच इतना साधारण है, जितना दिख रहा है?

#### संदिग्ध संबंध: नैतिकता की लक्ष्मण रेखा टूटी?
जांच के दौरान सामने आए कुछ तथ्यों ने इस मामले को और उलझा दिया। बुजुर्ग अपने बेटे और बहू के साथ नोखा में रहता था। नाबालिग बालिका उसके घर में साफ-सफाई का काम करती थी। कुछ महीने पहले, परिवार के सदस्यों के साथ दोनों एक तीर्थ यात्रा पर भी साथ गए थे, जिसके बाद उनके बीच कथित नजदीकियों को लेकर इलाके में चर्चाएं शुरू हुई थीं। इज्जत और दबाव में उस आपसी बातचीत से मामला कथित तौर पर सुलझा लिया गया। लेकिन इस घटना ने उस पुराने जख्म को फिर से कुरेद दिया। स्थानीय लोगों की फुसफुसाहट और परिजनों के गंभीर आरोपों ने सवाल उठाया—क्या यह नजदीकी स्वाभाविक थी, या इसके पीछे कोई दबाव, शोषण या अनैतिक मंशा थी? एक नाबालिग और एक बुजुर्ग के बीच ऐसा क्या था, जो इस भयावह अंत तक पहुंचा? यह सवाल न केवल इस घटना को, बल्कि समाज की नैतिकता और बाल संरक्षण की व्यवस्था को कठघरे में खड़ा करता है।

#### परिजनों का दर्द और आक्रोश: हत्या का शक
नाबालिग के परिजनों ने इस घटना को आत्महत्या मानने से साफ इनकार कर दिया। उनका कहना है कि उनकी बेटी को न केवल दबाव में काम करने के लिए मजबूर किया गया, बल्कि उसे अनैतिक संबंधों के जाल में फंसाया गया। परिजनों ने बुजुर्ग और उसके परिवार पर बाल श्रम, शोषण और सुनियोजित हत्या के संगीन आरोप लगाए। उनका दावा है कि यह आत्महत्या का नाटक रचकर हत्या को छिपाने की साजिश है। घटना के बाद परिजनों और स्थानीय लोगों ने नोखा थाने के बाहर धरना शुरू कर दिया था ।कई घंटों तक चले इस धरने के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने परिजनों से वार्ता की और निष्पक्ष जांच का भरोसा दिलाया। धरना तो खत्म हुआ, लेकिन नोखा की हवा में तनाव, गुस्सा और अनिश्चितता का धुंधलका अब भी छाया हुआ है।

#### सामाजिक और कानूनी सवाल: एक असहज चिंता
यह घटना सिर्फ एक त्रासदी नहीं, बल्कि समाज के लिए एक चेतावनी है। यह कई स्तरों पर गंभीर और असहज सवाल खड़े करती है। पहला, क्या यह वाकई सामूहिक आत्महत्या थी, या इसके पीछे कोई गहरी साजिश है? सुसाइड नोट, जो इस रहस्य की कुंजी हो सकता है, अभी तक खामोश है। दूसरा, एक नाबालिग और एक बुजुर्ग के बीच कथित संबंध न केवल नैतिकता, बल्कि बाल संरक्षण कानूनों पर भी सवाल उठाते हैं। क्या समाज में ऐसी घटनाएं सामान्य होती जा रही हैं, जहां उम्र और रिश्तों की सीमाएं धुंधली पड़ रही हैं? तीसरा, परिजनों के बाल श्रम और शोषण के आरोप क्या किसी बड़े अपराध की ओर इशारा करते हैं? क्या सामाजिक दबाव, पारिवारिक विवाद या आर्थिक मजबूरी इस त्रासदी का आधार बनीं? 

इसके अलावा, यह घटना समाज के उस चेहरे को बेनकाब करती है, जहां एक नाबालिग की आवाज दबा दी जाती है, और सामाजिक ताने-बाने में छिपे शोषण को नजरअंदाज कर दिया जाता है। यह सिर्फ नोखा की कहानी नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक चिंताजनक संदेश है—हम कहां जा रहे हैं? क्या हमारी सामाजिक व्यवस्था इतनी कमजोर हो चुकी है कि एक बच्ची और एक बुजुर्ग की जिंदगी इस तरह खत्म हो जाए, और हम सिर्फ सवाल पूछते रह जाएं?

#### पुलिस जांच: सच की तलाश
नोखा पुलिस ने इस मामले को अत्यंत गंभीरता से लिया है। सभी पहलुओं की गहन जांच की जा रही है। मौके से बरामद सुसाइड नोट, सीसीटीवी फुटेज और अन्य साक्ष्यों को एफएसएल को सौंपा गया है। पुलिस का कहना है कि जांच पूरी तरह निष्पक्ष होगी, और किसी भी दोषी को बख्शा नहीं जाएगा। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने यह भी स्पष्ट किया है कि इस मामले में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। लेकिन जांच की धीमी गति और सुसाइड नोट की सामग्री को लेकर चुप्पी ने स्थानीय लोगों में बेचैनी बढ़ा दी है। क्या ये साक्ष्य इस काले सच को उजागर करेंगे, या यह रहस्य और गहरा होगा?

 निष्कर्ष: एक अधूरी कहानी, जो जवाब मांगती है
नोखा की यह त्रासदी सिर्फ दो मौतों की कहानी नहीं, बल्कि हमारे समाज की एक असहज और चिंताजनक हकीकत है। यह आत्महत्या थी, हत्या थी, या टूटते सामाजिक मूल्यों का परिणाम—यह जांच के नतीजे ही बताएंगे। लेकिन इस घटना ने समाज के सामने कई सवाल खड़े किए हैं, जिनका जवाब ढूंढना जरूरी है। एक नाबालिग का खामोश दर्द, एक बुजुर्ग की रहस्यमय मौत और एक सुसाइड नोट का अनकहा सच—यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। जांच का अगला अध्याय इस सनसनीखेज मामले का सच सामने लाएगा, लेकिन तब तक नोखा की गलियां और समाज का आलम सवालों के साये में डूबा रहेगा। क्या हम इस सच को स्वीकार करने के लिए तैयार हैं?

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