अफीम की मनुहार बन रही समाज की बेड़ी: पुलिस की सख्त चेतावनी, अब जेल की सजा!"
पुलिस ने ऐलान किया है कि कोई भी सार्वजनिक या निजी समारोह—चाहे वह शादी हो, त्योहार हो या कोई धार्मिक आयोजन—अफीम और डोडा के सेवन से मुक्त होना चाहिए। अगर कहीं ऐसी मनुहार पकड़ी गई, तो न केवल आयोजकों बल्कि शामिल होने वालों पर भी कानूनी शिकंजा कसेगा

बाड़मेर और जालौर की धरती, जहां संस्कृति और परंपराओं का गहरा रंग बस्ता है, वहां एक ऐसी कुरीति ने जड़ें जमा ली हैं, जो समाज को खोखला कर रही है। शादी-ब्याह, मृत्यु संस्कार और सामाजिक समारोहों में अफीम और डोडा की मनुहार अब सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि एक सामाजिक अभिशाप बन चुकी है। इस नशे की लत न केवल युवाओं को अपराध की राह पर धकेल रही है, बल्कि हर साल करोड़ों रुपये समाज की मेहनत की कमाई को राख में बदल रही है। लेकिन अब पुलिस ने इस कुरीति के खिलाफ कमर कस ली है और सख्त चेतावनी जारी की है—"अफीम की मनुहार बंद करो, वरना जेल की हवा खानी पड़ेगी!"
जोधपुर रेंज के आईजी साहब के निर्देश पर बाड़मेर, बालोतरा और जालौर में नशा मुक्त समाज अभियान ने नया रंग लिया है। पुलिस ने ऐलान किया है कि कोई भी सार्वजनिक या निजी समारोह—चाहे वह शादी हो, त्योहार हो या कोई धार्मिक आयोजन—अफीम और डोडा के सेवन से मुक्त होना चाहिए। अगर कहीं ऐसी मनुहार पकड़ी गई, तो न केवल आयोजकों बल्कि शामिल होने वालों पर भी कानूनी शिकंजा कसेगा। पुलिस ने साफ कहा, "यह परंपरा नहीं, अपराध है। समाज को बचाने के लिए अब सख्ती जरूरी है।"
पुलिस का मास्टर प्लान: खुफिया नजर, सख्त कार्यवाही
आगामी शादी और त्योहारी सीजन को देखते हुए पुलिस ने विशेष अभियान शुरू किया है। थाना क्षेत्रों में सादे कपड़ों में जवान और बॉडी कैमरों से लैस खुफिया टीमें नजर रखेंगी। कोई भी व्यक्ति अगर अफीम या डोडा की मनुहार करता पकड़ा गया, तो उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाएगा। इतना ही नहीं, पुलिस ने जागरूक नागरिकों से भी अपील की है कि वे ऐसी गतिविधियों की सूचना फोटो, वीडियो या फोन के जरिए दें। सबसे खास बात—ऐसे सूचना देने वालों का नाम पूरी तरह गुप्त रखा जाएगा।
पुलिस ने जनप्रतिनिधियों और सरकारी कर्मचारियों को भी चेताया है कि वे इस तरह की गतिविधियों से दूर रहें, वरना उनके खिलाफ भी कार्रवाई होगी। पुलिस का कहना है, "यह अभियान सिर्फ कानून लागू करने के लिए नहीं, बल्कि समाज को नशे की गर्त से निकालने के लिए है।"
नशे का जाल: युवा बन रहे शिकार
अफीम और डोडा की मनुहार से फ्री में नशा मिलने की वजह से युवा पीढ़ी तेजी से नशेड़ी बन रही है। नशे की लत में डूबे युवा छोटे-मोटे अपराधों से लेकर संगठित अपराध तक में लिप्त हो रहे हैं। सामाजिक समारोहों में खुलेआम नशे की उपलब्धता ने न केवल परिवारों को तोड़ा है, बल्कि समाज की आर्थिक और नैतिक नींव को भी कमजोर किया है। पुलिस का अनुमान है कि इस मनुहार की संस्कृति में हर साल करोड़ों रुपये बर्बाद हो रहे हैं, जो समाज के विकास में काम आ सकते थे।
समाज को जागने का समय
यह खबर सिर्फ एक चेतावनी नहीं, बल्कि एक आह्वान है। क्या हम अपनी परंपराओं के नाम पर नशे को बढ़ावा देना जारी रखेंगे? क्या हम अपने युवाओं को अपराध और बर्बादी की राह पर धकेलते रहेंगे? पुलिस की यह मुहिम समाज को आईना दिखाने का काम कर रही है। अब वक्त है कि हम सब मिलकर इस कुरीति को जड़ से उखाड़ें। अगर आप भी अपने आसपास ऐसी गतिविधियां देखते हैं, तो चुप न रहें—पुलिस को सूचित करें और नशा मुक्त समाज की नींव रखें।
अफीम की मनुहार बंद करो, समाज को नशे से आजाद करो!