बाड़मेर जिला अस्पताल की बदहाली,मुख्यमंत्री के दौरे से पहले खुली व्यवस्थाओं की पोल
मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा के प्रस्तावित बाड़मेर दौरे से ठीक पहले जिले का सबसे बड़ा अस्पताल सुर्खियों में है

बाड़मेर रिपोर्ट राजेंद्र सिंह - राजस्थान: राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के प्रस्तावित बाड़मेर दौरे से ठीक पहले जिले का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल सुर्खियों में है, लेकिन वजह सकारात्मक नहीं है। जिला अस्पताल में बीमार मशीनें, खराब उपकरण और अव्यवस्थाओं का आलम इस कदर हावी है कि मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ रहा है। ऐसे में सीएम का दौरा, जो लाभार्थी महिलाओं से संवाद के लिए प्रस्तावित है, अब सरकार की स्वास्थ्य सेवाओं की हकीकत को उजागर करने का मंच बन सकता है।
जिला अस्पताल का दयनीय हाल
बाड़मेर का राजकीय जिला अस्पताल, जो कभी जैसलमेर, सांचौर और बालोतरा तक के मरीजों के लिए उम्मीद का केंद्र हुआ करता था, आज खुद बीमार हालत में है। अस्पताल में मौजूद कई महत्वपूर्ण मशीनें लंबे समय से खराब पड़ी हैं। सूत्रों के मुताबिक, एक्स-रे मशीन, अल्ट्रासाउंड उपकरण और सीटी स्कैन जैसी सुविधाएं या तो बंद हैं या आंशिक रूप से काम कर रही हैं। हाल ही में स्थानीय लोगों और सोशल मीडिया पर सक्रिय नागरिकों ने इसकी शिकायत की है, जिसमें बताया गया कि मरीजों को प्राइमरी ट्रीटमेंट के बाद जोधपुर या अन्य शहरों के लिए रेफर किया जा रहा है, और कई बार मरीज रास्ते में ही दम तोड़ देते हैं।
अस्पताल में डॉक्टरों की कमी भी एक बड़ी समस्या है। जो चिकित्सक मौजूद हैं, वे भी अपनी निजी प्रैक्टिस को प्राथमिकता देते दिखते हैं। एक स्थानीय निवासी ने बताया,कुछ "डॉक्टर तो सुबह 11 बजे के बाद ही अस्पताल पहुंचते हैं, तब तक मरीज लंबी लाइनों में इंतजार करते रहते हैं। इलाज के नाम पर सिर्फ दवा लिखकर रेफर कर दिया जाता है।
बीमार मशीनें और मरीजों की परेशानी
जिला अस्पताल में सोनोग्राफी की मांग रोजाना 500 से अधिक है, लेकिन केवल तीन मशीनें हैं, जिनमें से दो खराब पड़ी हैं। नतीजतन, सिर्फ 200 मरीजों की जांच हो पाती है, और बाकियों को एक से डेढ़ महीने की वेटिंग दी जाती है। कार्डियोलॉजी विभाग में भी हालात बदतर हैं। प्रतिमाह 100 से अधिक हार्ट पेशेंट यहां पहुंचते हैं, लेकिन केथलैब (कैथेटराइजेशन लेबोरेटरी) की सुविधा न होने से मरीजों को प्राइमरी ट्रीटमेंट के बाद रेफर करना पड़ता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि इस लापरवाही के चलते कई मरीजों की जान जा चुकी है।
सीटी स्कैन के लिए मरीजों को 1.5 किलोमीटर दूर निजी केंद्रों पर जाना पड़ता है, जहां मोटी रकम वसूली जाती है। एक मरीज ने कहा, "सरकारी अस्पताल में सुविधा नहीं, और प्राइवेट में पैसे नहीं। हम कहां जाएं?" ऑक्सीजन प्लांट जैसी बुनियादी सुविधाएं भी पिछले कई महीनों से अस्त व्यस्त पड़ी हैं
सियासी हलचल और सरकार पर सवाल
मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का बाड़मेर दौरा ऐसे समय में प्रस्तावित है, जब जिला अस्पताल की बदहाली चर्चा का विषय बनी हुई है। बीजेपी सरकार के पंद्रह महीने से अधिक समय बीत जाने के बाद भी स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार न होने से विपक्ष को हमला करने का मौका मिल गया है। कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी अपने बाड़मेर दौरे के दौरान इन मुद्दों को उठाने की तैयारी में हैं। गहलोत के समर्थकों का कहना है कि उनकी सरकार में स्वास्थ्य सेवाओं पर ध्यान दिया गया था, जबकि मौजूदा सरकार सिर्फ वादों तक सीमित है।
दूसरी ओर, बीजेपी नेताओं का दावा है कि सरकार स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर करने के लिए प्रयासरत है। हालांकि, जमीनी हकीकत इसके उलट बयान दे रही है। बाड़मेर के विधायक डॉ. प्रियंका चौधरी ने हाल ही में विधानसभा में इस मुद्दे को उठाते हुए जांच की मांग की थी। उन्होंने कहा, "अस्पताल की ओपीडी 3,000 से ज्यादा है, लेकिन सुविधाएं न के बराबर हैं। सरकार को तुरंत कदम उठाना चाहिए।"
बाड़मेर जिला अस्पताल की मौजूदा स्थिति राज्य की स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का एक नमूना है। मुख्यमंत्री के दौरे से पहले यह सवाल उठ रहा है कि क्या यह दौरा सिर्फ सियासी शो बनकर रह जाएगा, या फिर वास्तव में जमीनी बदलाव की शुरुआत होगी। जनता की नजर अब सरकार के कदमों पर टिकी है, क्योंकि बीमार मशीनों और खराब व्यवस्थाओं के बीच मरीजों का इंतजार लंबा होता जा रहा है।