बाड़मेर जिला कारागृह में अचानक हलचल: दोपहर 12 बजे पहुँचे अधिकारी, सब हैरान

बाड़मेर, 31 मार्च 2025: आज दोपहर ठीक 12 बजे बाड़मेर के जिला कारागृह में उस समय सन्नाटा टूट गया, जब पुलिस और प्रशासन के आला अधिकारियों की एक टीम अचानक जेल के मुख्य द्वार पर पहुँच गई। यह कोई फिल्मी दृश्य नहीं था, न ही सायरन की गूंज से माहौल गरमाया हुआ था, लेकिन फिर भी इस अप्रत्याशित दौरे ने जेल के कर्मचारियों और कैदियों को हैरत में डाल दिया। हर कोई एक-दूसरे का मुँह ताक रहा था, यह समझने की कोशिश में कि आखिर यह माजरा क्या है।
दोपहर का समय था, जब जेल में आमतौर पर रोज़मर्रा की गतिविधियाँ चल रही होती हैं। कैदी अपने बैरकों में थे, कुछ कर्मचारी रिकॉर्ड्स संभाल रहे थे, और गर्मी के चलते माहौल सुस्त था। तभी अचानक गाड़ियों का एक काफिला जेल के बाहर रुका। बिना किसी पूर्व सूचना के अधिकारी अंदर दाखिल हुए। कोई शोर-शराबा नहीं, कोई सायरन नहीं, बस एक सधी हुई चुप्पी के साथ अधिकारियों ने अपना काम शुरू कर दिया। यह देखकर जेल स्टाफ के हाथ-पाँव फूल गए।
एक जेल कर्मचारी ने बताया, "हमें लगा शायद कोई रूटीन चेकिंग होगी, लेकिन इतने सारे बड़े अधिकारी एक साथ? कुछ तो गड़बड़ थी।" अधिकारियों ने बैरकों की जाँच शुरू की, कैदियों के सामानों की तलाशी ली और रिकॉर्ड्स को खंगाला। कुछ कैदियों के चेहरों पर घबराहट साफ झलक रही थी, जबकि अन्य यह समझने की कोशिश कर रहे थे कि यह सब इतनी खामोशी से क्यों हो रहा है। क्या जेल में कोई अनियमितता पकड़ी जानी थी? या फिर कोई बड़ा राज़ सामने आने वाला था? सवाल कई थे, जवाब किसी के पास नहीं।
जेल के बाहर भी हल्की हलचल शुरू हो गई। आसपास के लोग जमा होने लगे और कयासों का दौर शुरू हो गया। एक स्थानीय दुकानदार ने कहा, "दोपहर में ऐसा कुछ होने की उम्मीद नहीं थी। लगा कि शायद कोई कैदी भागने की फिराक में था।" लेकिन अंदर की स्थिति बाहर से ज़्यादा रहस्यमयी थी। अधिकारियों ने जेल के रसोईघर से लेकर स्टोर रूम तक की पड़ताल की गई।
दिन ढलते-ढलते यह साफ हुआ कि यह कोई आपातकालीन कार्रवाई नहीं थी। शाम को प्रशासन की ओर से खुलासा किया गया कि यह एक औचक निरीक्षण था, जिसमें अतिरिक्त जिला कलेक्टर,एडिशनल एसपी,एसडीएम, और DYSP के नेतृत्व में पुलिस जाब्ता शामिल था। इस निरीक्षण का मकसद जेल में व्यवस्था की जाँच करना और किसी भी संभावित खामी को दूर करना था।
अधिकारियों ने बताया कि ऐसी जाँच समय-समय पर की जाती है ताकि जेल प्रशासन सतर्क रहे। हालाँकि, इस बार जिस तरह बिना शोर-शराबे के यह निरीक्षण हुआ, उसने सबको चौंका दिया। जेल में अब स्थिति सामान्य है, लेकिन यह दोपहर का वाकया यहाँ मौजूद लोगों के लिए एक अनसुलझी पहेली की तरह रहा। क्या यह सिर्फ एक औपचारिकता थी, या इसके पीछे कोई गहरी वजह थी? यह सवाल अभी अनुत्तरित है।