"बाड़मेर की नई उड़ान: पंचायतों का रिकॉर्ड तोड़ कारवां और टीना डाबी का मास्टरप्लान"
बाड़मेर जिले में पंचायती राज के क्षेत्र में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। जिला कलेक्टर टीना डाबी ने 277 नई ग्राम पंचायतों और 8 नई पंचायत समितियों की प्रस्तावित सूची जारी की, जिसके बाद जिला प्रदेश में सर्वाधिक पंचायतों वाला बनने की ओर अग्रसर है। यह पुनर्गठन ग्रामीण विकास और प्रशासनिक पहुंच को बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। वर्तमान में 418 पंचायतें और 12 समितियां हैं, जो प्रस्ताव लागू होने पर 695 और 20 हो जाएंगी। इसके अलावा, 600 से अधिक नए राजस्व गांव भी बनाए गए हैं। यह कदम 2009 से चली आ रही प्रगति को आगे बढ़ाता है और बाड़मेर को प्रशासनिक नवाचार का नया केंद्र बनाने की तैयारी है।

रिपोर्ट/जसवंत सिंह शिवकर - बाड़मेर, 8 अप्रैल 2025: राजस्थान के बाड़मेर जिले में पंचायती राज के क्षेत्र में एक नया इतिहास रचा जा रहा है। बीते कुछ महीनों से चल रही पुनर्गठन की प्रक्रिया अब अपने अंतिम चरण में पहुंच चुकी है, और जिला कलेक्टर टीना डाबी ने सोमवार देर रात 277 नई ग्राम पंचायतों और 8 नई पंचायत समितियों की प्रस्तावित सूची जारी कर दी। इस कदम के साथ बाड़मेर ने प्रदेश में सबसे अधिक पंचायतें प्रस्तावित करने का गौरव हासिल किया है। यह बदलाव न केवल जिले के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत करेगा, बल्कि ग्रामीण विकास को भी नई गति देगा।
पंचायतों का नया दौर: 2019 से 2025 तक की यात्रा
साल 2019 में जब बाड़मेर और बालोतरा एक ही जिला थे, तब कांग्रेस सरकार ने 200 नई ग्राम पंचायतों का गठन किया था। उस समय जिले में कुल 689 पंचायतें और 21 पंचायत समितियां थीं। अब, भाजपा सरकार के कार्यकाल में अकेले बाड़मेर जिले में 277 नई ग्राम पंचायतों का प्रस्ताव आया है, जो 2019 की तुलना में एक बड़ा कदम है। वर्तमान में जिले में 418 ग्राम पंचायतें और 12 पंचायत समितियां हैं, और प्रस्तावित सूची लागू होने के बाद यह संख्या क्रमशः 695 और 20 हो जाएगी। यह पहल पंचायती राज चुनावों से पहले ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक पहुंच को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
टीना डाबी की दूरदर्शिता: रिकॉर्ड तोड़ प्रस्ताव
जिला कलेक्टर टीना डाबी ने इस पुनर्गठन को लेकर पिछले कई महीनों से गहन तैयारी की। सोमवार को उनकी ओर से प्रस्तावित सूची पर हस्ताक्षर किए गए, जिसके बाद इसे सरकार को भेज दिया गया। खास बात यह है कि बाड़मेर अब तक का सबसे बड़ा पंचायत पुनर्गठन देख रहा है। इसके अलावा, जिले में पहली बार 600 से अधिक नए राजस्व गांवों का प्रस्ताव भी तैयार किया गया है। जनवरी 2025 से शुरू हुई इस प्रक्रिया में अब तक अधिकांश गांवों की अधिसूचना जारी हो चुकी है, जो जिले के विकास की नई कहानी लिख रही है।
नई पंचायत समितियां: जिले का विस्तार
प्रस्तावित 8 नई पंचायत समितियों में भियाड़, गिराब, किराडू, विशाला, डूगेरो का तला, लीलसर, मांगता और बाटाडू शामिल हैं। वर्तमान में जिले में 12 पंचायत समितियां कार्यरत हैं, जिनमें बाड़मेर, बाड़मेर ग्रामीण, शिव, रामसर, गडरारोड, चौहटन, धनाऊ, सेड़वा, फागलिया, गुड़ामालानी, आडेल और धोरीमना शामिल हैं। पायला कला और बायतु पंचायत समितियों का कुछ हिस्सा भी बाड़मेर में आता है। नई समितियों के गठन से जिले का प्रशासनिक ढांचा और सघन होगा, जिससे ग्रामीण स्तर पर योजनाओं का लाभ आम जनता तक आसानी से पहुंच सकेगा।
कहां कितनी पंचायतें बढ़ीं?
नई ग्राम पंचायतों का वितरण जिले की मौजूदा पंचायत समितियों में इस प्रकार प्रस्तावित है:
बाड़मेर: 38 से बढ़कर 63 (25 नई)
बाड़मेर ग्रामीण: 37 से 59 (23 नई)
बाटाडू: 13 से 25 (12 नई)
शिव: 38 से 62 (24 नई)
रामसर: 31 से 52 (21 नई)
गडरारोड: 37 से 57 (20 नई)
चौहटन: 49 से 81 (32 नई)
धनाऊ: 30 से 54 (24 नई)
सेड़वा: 28 से 48 (20 नई)
फागलिया: 22 से 47 (25 नई)
धोरीमना: 43 से 67 (25 नई)
गुड़ामालानी: 30 से 48 (18 नई)
आडेल: 20 से 24 (8 नई)
यह वृद्धि जिले के हर कोने में प्रशासनिक सुविधाओं को पहुंचाने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
2009 से अब तक का सफर
बाड़मेर जिले में पंचायतों की संख्या में पिछले डेढ़ दशक में लगातार इजाफा हुआ है:
2009: 380 ग्राम पंचायतें, 8 पंचायत समितियां (बाड़मेर-बालोतरा संयुक्त)
2014: 489 ग्राम पंचायतें
2019: 689 ग्राम पंचायतें, 21 पंचायत समितियां
2025: 695 ग्राम पंचायतें, 20 पंचायत समितियां (प्रस्तावित)
यह आंकड़े बताते हैं कि बाड़मेर ग्रामीण विकास के मामले में तेजी से आगे बढ़ रहा है।
भविष्य की राह
नई पंचायतों और समितियों के गठन से जहां ग्रामीण क्षेत्रों में प्रशासनिक सेवाएं बेहतर होंगी, वहीं विकास योजनाओं के क्रियान्वयन में भी तेजी आएगी। हालांकि, इस बड़े बदलाव के साथ संसाधनों का प्रबंधन और प्रशासनिक समन्वय जैसी चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। टीना डाबी की अगुवाई में जिला प्रशासन अब इन प्रस्तावों को मूर्त रूप देने के लिए तैयार है। यह प्रस्ताव राज्य सरकार की मंजूरी के बाद लागू होगा, जिसके बाद बाड़मेर का प्रशासनिक नक्शा पूरी तरह बदल जाएगा।
बाड़मेर अब सिर्फ थार का रेगिस्तान नहीं, बल्कि प्रशासनिक नवाचार का एक नया केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। इस बदलाव से जिले के लोगों में उम्मीद की किरण जगी है, और आने वाले दिन इसकी सफलता की गवाही देंगे।