बाड़मेर में बाल विवाह के खिलाफ जंग: जिला कलेक्टर टीना डाबी की सख्त पहल, अब नहीं चलेगी कोई ढील
बाड़मेर जिला कलेक्टर टीना डाबी ने 9 अप्रैल 2025 को बाल विवाह रोकने के लिए एक सख्त आदेश जारी किया, जो 30 अप्रैल 2025 तक प्रभावी रहेगा। आदेश में जिला पुलिस अधीक्षक, उपखंड मजिस्ट्रेट, तहसीलदार, विकास अधिकारी, और अन्य अधिकारियों को जागरूकता अभियान, निगरानी, और कानूनी कार्रवाई के जरिए बाल विवाह रोकने के निर्देश दिए गए हैं।

बाड़मेर, 9 अप्रैल 2025: राजस्थान के बाड़मेर जिले में बाल विवाह की कुप्रथा को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए जिला कलेक्टर टीना डाबी ने एक सख्त और प्रभावी आदेश जारी किया है। 9 अप्रैल 2025 को जारी इस आदेश में जिले के सभी अधिकारियों को बाल विवाह रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं। यह आदेश 30 अप्रैल 2025 तक प्रभावी रहेगा, और इस दौरान पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया जैसी अवैध गतिविधियों से जुड़े बाल विवाह पर कड़ी नजर रखी जाएगी। जिला प्रशासन ने इस सामाजिक बुराई को खत्म करने के लिए हर स्तर पर कदम उठाने की ठानी है।
आदेश में क्या है खास?
जिला कलेक्टर टीना डाबी के इस आदेश में जिला पुलिस अधीक्षक, समस्त उपखंड मजिस्ट्रेट, तहसीलदार, विकास अधिकारी, मुख्य जिला शिक्षा अधिकारी, उप निदेशक (महिला एवं बाल विकास विभाग), और सहायक निदेशक (सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग) सहित सभी संबंधित अधिकारियों को सक्रिय रूप से इस अभियान में शामिल होने के लिए कहा गया है। इसके अलावा, ग्राम पंचायत स्तर पर पदस्थापित विभिन्न विभागों के कर्मचारियों को भी जागरूकता फैलाने और निगरानी करने की जिम्मेदारी दी गई है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि ग्राम स्तर से लेकर जिला स्तर तक बाल विवाह की रोकथाम के लिए जागरूकता अभियान, सख्त निगरानी, और कानूनी कार्रवाई को प्राथमिकता दी जाएगी।
यह आदेश खासतौर पर 6 और 18 जून 2007 को जयपुर में हुई एक घटना के बाद लिया गया है, जहां बाल विवाह से जुड़े मामले सामने आए थे। इसके अलावा, 31 जुलाई 2025 को होने वाली सामूहिक शादियों पर भी प्रशासन की पैनी नजर रहेगी। जिला कलेक्टर ने कहा, "बाल विवाह एक गंभीर सामाजिक बुराई है, जो बच्चों के भविष्य को अंधेरे में धकेल देती है। इसे रोकना हमारी प्राथमिकता है, और इसके लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।"
बाल विवाह को लेकर चौंकाने वाले तथ्य
वैश्विक आंकड़े: यूनिसेफ की एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में हर साल लगभग 1.2 करोड़ लड़कियों की शादी 18 साल से कम उम्र में कर दी जाती है। भारत में यह आंकड़ा सबसे ज्यादा है, जहां 27% लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है।
शिक्षा पर असर: बाल विवाह के कारण 60% से ज्यादा लड़कियां अपनी स्कूली शिक्षा पूरी नहीं कर पातीं। इससे उनके जीवन में आर्थिक और सामाजिक असमानता बढ़ती है।
स्वास्थ्य जोखिम: कम उम्र में मां बनने से कुपोषण, मातृ मृत्यु दर, और नवजात शिशुओं में स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। डब्ल्यूएचओ के अनुसार, 15-19 साल की उम्र में गर्भधारण करने वाली लड़कियों में जटिलताओं का खतरा 50% ज्यादा होता है।
राजस्थान की स्थिति: राजस्थान बाल विवाह के मामले में देश में सबसे आगे है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5) के अनुसार, राज्य में 25% से ज्यादा लड़कियों की शादी 18 साल से पहले हो जाती है, और बाड़मेर जैसे ग्रामीण इलाकों में यह आंकड़ा और भी ज्यादा है।
प्रशासन की रणनीति और अपील
टीना डाबी ने इस आदेश के जरिए न केवल प्रशासनिक स्तर पर सख्ती बरतने का संदेश दिया है, बल्कि आम जनता से भी सहयोग की अपील की है। उन्होंने कहा, "बाल विवाह को रोकने के लिए जागरूकता सबसे बड़ा हथियार है। हमें समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलना होगा।" प्रशासन ने ग्राम पंचायतों, स्कूलों, और सामुदायिक समूहों के साथ मिलकर जागरूकता अभियान चलाने की योजना बनाई है। इसके तहत बच्चों और उनके अभिभावकों को बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में बताया जाएगा।
आदेश में यह भी उल्लेख किया गया है कि 31 जुलाई 2025 को होने वाली सामूहिक शादियों पर विशेष निगरानी रखी जाएगी, क्योंकि इस तरह के आयोजनों में अक्सर बाल विवाह के मामले सामने आते हैं। इसके लिए जिला प्रशासन ने एक विशेष टास्क फोर्स गठित करने का फैसला किया है, जो शादी समारोहों की जांच करेगी और जरूरत पड़ने पर तुरंत कार्रवाई करेगी।
डिजिटल हस्ताक्षर के साथ आदेश
यह आदेश डिजिटल हस्ताक्षर के साथ जारी किया गया है और इसे 9 अप्रैल 2025 को सुबह 9:04:13 बजे स्वीकृत किया गया। आदेश के अंत में जिला कलेक्टर टीना डाबी का हस्ताक्षर और "सिग्नेचर वैलिड" की मुहर भी लगी है, जो इसकी प्रामाणिकता को दर्शाता है।
एक नई उम्मीद
बाड़मेर जिला प्रशासन की यह पहल बाल विवाह के खिलाफ एक मजबूत संदेश देती है। अगर इस आदेश को सही तरीके से लागू किया गया, तो यह न केवल बाड़मेर बल्कि पूरे राजस्थान में बाल विवाह को कम करने में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है। समाज के हर वर्ग से अपील की जा रही है कि वे इस अभियान में सक्रिय रूप से भाग लें और बच्चों के उज्जवल भविष्य को सुनिश्चित करने में अपना योगदान दें।