बाड़मेर में रचा इतिहास: तीन पीढ़ियों के 12 लोगों ने एक साथ की देहदान की घोषणा, बनी अनूठी मिसाल
बामणोर गांव के सेजू परिवार के तीन पीढ़ियों के 12 सदस्यों ने एक साथ अपने शरीर को मृत्यु के बाद दान करने की घोषणा की। इस नेक कार्य ने न केवल बाड़मेर, बल्कि पूरे देश में एक नई मिसाल कायम की है,

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर - बाड़मेर, राजस्थान में एक ऐतिहासिक और प्रेरणादायक घटना सामने आई है, जहां एक संयुक्त परिवार ने मानवता की सेवा में अनूठा कदम उठाया। बाड़मेर जिला अस्पताल में आज तक का सबसे बड़ा देहदान देखने को मिला, जब बामणोर गांव के सेजू परिवार के तीन पीढ़ियों के 12 सदस्यों ने एक साथ अपने शरीर को मृत्यु के बाद दान करने की घोषणा की। इस नेक कार्य ने न केवल बाड़मेर, बल्कि पूरे देश में एक नई मिसाल कायम की है, क्योंकि इतनी बड़ी संख्या में एक साथ देहदान की घोषणा अब तक कहीं नहीं हुई।
सेजू परिवार का प्रेरणादायक संकल्प
बामणोर गांव का सेजू परिवार, जो तीन पीढ़ियों से एकजुटता के साथ रहता आया है, ने इस निर्णय से समाज को एक बड़ा संदेश दिया। परिवार के सभी 12 सदस्यों ने एकमत होकर यह फैसला लिया कि मृत्यु के बाद उनके शरीर का उपयोग चिकित्सा शिक्षा और शोध के लिए किया जाए। यह कदम न केवल चिकित्सा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि समाज में देहदान के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी मील का पत्थर साबित होगा।
जिला अस्पताल में उत्साह का माहौल
इस घोषणा के साथ ही बाड़मेर जिला अस्पताल में खुशी और गर्व का माहौल छा गया। अस्पताल अधीक्षक डॉ. बीएल मंसुरिया ने सेजू परिवार के इस ऐतिहासिक फैसले की सराहना की और उन्हें बधाई दी। डॉ. मंसुरिया ने कहा, "यह हमारे लिए गर्व का क्षण है। सेजू परिवार ने जो कदम उठाया है, वह न केवल बाड़मेर के लिए, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है। यह निर्णय चिकित्सा क्षेत्र में शोध और शिक्षा को नई दिशा देगा।"
देश में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में देहदान
देहदान की यह घोषणा इसलिए भी खास है, क्योंकि देश में पहली बार इतनी बड़ी संख्या में एक साथ लोगों ने यह संकल्प लिया है। इससे पहले छोटे समूहों या व्यक्तिगत स्तर पर देहदान के मामले सामने आए थे, लेकिन एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों के 12 सदस्यों का यह कदम अभूतपूर्व है। इस घटना ने बाड़मेर को सुर्खियों में ला दिया और देहदान के महत्व को रेखांकित किया।
समाज के लिए प्रेरणा
सेजू परिवार का यह निर्णय उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है, जो देहदान को लेकर संकोच करते हैं। परिवार का मानना है कि मृत्यु के बाद शरीर को दान करके वे दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने में योगदान दे सकते हैं। यह कदम चिकित्सा छात्रों को अध्ययन के लिए संसाधन उपलब्ध कराने के साथ-साथ अंगदान और देहदान के प्रति समाज में सकारात्मक सोच को बढ़ावा देगा।
बाड़मेर ने रचा इतिहास
28 मार्च 2025 को बाड़मेर ने एक नया इतिहास रच दिया। सेजू परिवार की यह पहल न केवल स्थानीय स्तर पर, बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है। इस घटना ने बाड़मेर को गर्व करने का एक नया मौका दिया है और यह साबित कर दिया है कि छोटे से गांव से भी बड़े बदलाव की शुरुआत हो सकती है।
इस अनूठी मिसाल के साथ, सेजू परिवार ने यह दिखा दिया कि एकजुटता और नेक इरादों के साथ समाज में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है। बाड़मेर का यह गौरवमयी पल लंबे समय तक याद रखा जाएगा।