बाड़मेर पेपर लीक मामला: नरेश देव की गिरफ्तारी के बाद कई कांस्टेबल भूमिगत, 2015 बैच पर भी शक का साया

रिपोर्ट जसवंत सिंह -बाड़मेर, राजस्थान: वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2020 के पेपर लीक मामले में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (एसओजी) की कार्रवाई ने एक बार फिर सुर्खियां बटोरी हैं। इस मामले में बाड़मेर के कांग्रेस नेता और पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष नरेश देव सहारण उर्फ एनडी की गिरफ्तारी के बाद जांच का दायरा तेजी से बढ़ता जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, नरेश देव की गिरफ्तारी के बाद कई कांस्टेबल भूमिगत हो गए हैं, जिनमें से कुछ 2015 बैच में भर्ती हुए बताए जा रहे हैं। इस घटनाक्रम ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या 2015 में भर्ती हुए कांस्टेबल भी जांच के शक के दायरे में हैं?
नरेश देव की गिरफ्तारी और पेपर लीक का खुलासा
एसओजी ने 22 मार्च 2025 को बाड़मेर से नरेश देव सहारण को हिरासत में लिया था और बाद में उनकी गिरफ्तारी की पुष्टि की। नरेश पर आरोप है कि उन्होंने वनरक्षक भर्ती परीक्षा 2020 के सॉल्वड पेपर को सात अभ्यर्थियों को उपलब्ध करवाया, जिसके लिए उन्होंने प्रति अभ्यर्थी 6 लाख रुपये लिए थे। जांच में यह सामने आया कि नरेश ने अपनी इनोवा गाड़ी से इन अभ्यर्थियों को बाड़मेर से उदयपुर भेजा था, जहां उन्हें सॉल्वड पेपर पढ़ाया गया। इस मामले में अब तक 27 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें कई अन्य आरोपियों के नाम भी सामने आए हैं।
नरेश देव का नाम इससे पहले 2018 में सेकंड ग्रेड टीचर भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामले में भी उछला था, जिसके बाद उनकी गतिविधियों पर नजर रखी जा रही थी। उनकी गिरफ्तारी के बाद यह खुलासा हुआ कि पेपर लीक का यह नेटवर्क काफी व्यापक हो सकता है, जिसमें कई सरकारी कर्मचारी और भर्ती हुए कांस्टेबल भी शामिल हो सकते हैं।
कांस्टेबल भूमिगत, 2015 बैच पर सवाल
नरेश देव की गिरफ्तारी के बाद बाड़मेर और आसपास के इलाकों में हड़कंप मच गया। सूत्रों के मुताबिक, इस मामले से जुड़े कई कांस्टेबल अचानक गायब हो गए हैं और माना जा रहा है कि वे जांच से बचने के लिए भूमिगत हो गए हैं। खास बात यह है कि इनमें से कुछ कांस्टेबल 2015 बैच के बताए जा रहे हैं, जो उस साल हुई कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के जरिए पुलिस बल में शामिल हुए थे।
2015 की कांस्टेबल भर्ती परीक्षा भी विवादों में रही थी, जब इसके पेपर लीक होने की बात सामने आई थी। हाल ही में जोधपुर ग्रामीण से पांच कांस्टेबल को एसओजी ने हिरासत में लिया था, जो इसी बैच से संबंधित थे। सूत्रों का दावा है कि 2015 बैच के लगभग 3000 कांस्टेबल एसओजी की रडार पर हैं। यह संकेत देता है कि उस समय की भर्ती प्रक्रिया में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हो सकती थीं, जिसकी जांच अब तेज हो रही है।
क्या कहते हैं जानकार?
जांच से जुड़े अधिकारियों ने अभी तक इस बात की आधिकारिक पुष्टि नहीं की है कि 2015 बैच के कांस्टेबल सीधे तौर पर वनरक्षक भर्ती 2020 के पेपर लीक से जुड़े हैं। हालांकि, यह संदेह जताया जा रहा है कि उस समय भर्ती हुए कुछ कांस्टेबल या तो इस नेटवर्क का हिस्सा हो सकते हैं या फिर उनकी भर्ती भी संदिग्ध तरीके से हुई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया, "पेपर लीक का यह खेल लंबे समय से चल रहा है। नरेश देव जैसे लोग मास्टरमाइंड हो सकते हैं, लेकिन इसमें कई छोटे-बड़े लोग शामिल हैं, जिनमें कुछ सरकारी नौकरी में पहले से मौजूद हैं।"
जांच का अगला कदम
एसओजी अब नरेश देव से पूछताछ के आधार पर इस नेटवर्क के अन्य सदस्यों की तलाश में जुटी है। टीम नरेश के ड्राइवर और पेपर हैंडलर की भी तलाश कर रही है, जो इस मामले में अहम कड़ी हो सकते हैं। इसके अलावा, 2015 बैच के कांस्टेबल की भर्ती प्रक्रिया की फाइलें भी खंगाली जा रही हैं ताकि यह पता लगाया जा सके कि उस समय कितने लोगों ने अनुचित तरीकों से नौकरी हासिल की थी।
जनता में आक्रोश, सरकार पर दबाव
इस घटनाक्रम ने राजस्थान में भर्ती परीक्षाओं की पारदर्शिता पर फिर से सवाल उठा दिए हैं। अभ्यर्थियों और आम जनता में गुस्सा बढ़ रहा है, क्योंकि बार-बार पेपर लीक होने से मेहनती छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ रहा है। विपक्षी दल भी सरकार पर हमलावर हैं और इस मामले में कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
बाड़मेर पेपर लीक मामले में नरेश देव की गिरफ्तारी के बाद जांच का दायरा अब 2015 बैच के कांस्टेबल तक पहुंच गया है। कई कांस्टेबल के भूमिगत होने और एसओजी की सक्रियता से यह साफ है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और बड़े खुलासे हो सकते हैं। क्या 2015 बैच के कांस्टेबल वाकई शक के दायरे में हैं, यह तो जांच के बाद ही स्पष्ट होगा, लेकिन यह मामला राजस्थान की भर्ती प्रणाली में गहरी खामियों की ओर इशारा जरूर कर रहा है।