भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 24 दिसंबर 2024 को एक प्रेस रिलीज जारी कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में अनियमितताओं के आरोपों का खंडन किया। आयोग ने बिंदुवार जवाब देकर मतदान प्रक्रिया और मतदाता सूची तैयार करने में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर दिया।
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने 24 दिसंबर 2024 को एक प्रेस रिलीज जारी कर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) द्वारा महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में अनियमितताओं के आरोपों का खंडन किया। आयोग ने बिंदुवार जवाब देकर मतदान प्रक्रिया और मतदाता सूची तैयार करने में पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर दिया।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में मतदाता मतदान और निर्वाचक नामावली को लेकर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) द्वारा लगाए गए गड़बड़ी के आरोपों का चुनाव आयोग ने तथ्यों के साथ खंडन किया है। आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को एक प्रेस रिलीज जारी कर इन आरोपों को "भ्रामक और निराधार" बताया और मतदान प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर जोर दिया। आइए, आयोग के जवाब को सरल शब्दों में बिंदुवार समझते हैं।
1. मतदान की गति और आंकड़ों पर स्पष्टीकरण
कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि मतदान के अंतिम दो घंटों में मतदाता संख्या में असामान्य वृद्धि हुई। आयोग ने इसका जवाब देते हुए कहा कि महाराष्ट्र में 6,40,87,588 मतदाताओं ने सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक वोट डाले। औसतन, हर घंटे करीब 58 लाख वोट पड़े। इस हिसाब से अंतिम दो घंटों में 116 लाख वोट पड़ना संभव था, लेकिन वास्तव में केवल 65 लाख वोट पड़े, जो औसत से काफी कम है। इससे साफ है कि मतदान में कोई असामान्य वृद्धि नहीं हुई।
2. मतदान प्रक्रिया में पूरी पारदर्शिता
चुनाव आयोग ने बताया कि हर मतदान केंद्र पर सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि मौजूद थे, जिनमें कांग्रेस के अधिकृत एजेंट भी शामिल थे। मतदान के अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर और पर्यवेक्षकों के सामने हुई जांच में कांग्रेस की ओर से किसी भी अनियमितता की कोई पुष्ट शिकायत नहीं की गई। आयोग ने कहा कि मतदान की पूरी प्रक्रिया पारदर्शी थी और सभी पक्षों की भागीदारी सुनिश्चित की गई थी।
3. निर्वाचक नामावली की तैयारी का नियमबद्ध तरीका
कांग्रेस ने निर्वाचक नामावली में मनमानी हटाने-जोड़ने के आरोप लगाए थे। आयोग ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र सहित पूरे भारत में निर्वाचक नामावली जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के तहत तैयार की जाती है। हर साल और चुनाव से पहले विशेष संशोधन किया जाता है, और अंतिम नामावली की प्रति सभी राजनीतिक दलों, जिसमें कांग्रेस भी शामिल है, को दी जाती है। इस प्रक्रिया में कोई अनियमितता नहीं थी।
4. नामावली को लेकर न्यूनतम शिकायतें
आयोग ने बताया कि महाराष्ट्र में 9,77,90,752 मतदाताओं की अंतिम नामावली के खिलाफ केवल 89 अपीलें जिला मजिस्ट्रेट (DM) के पास और सिर्फ 1 अपील मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) के पास आई। इससे साफ है कि कांग्रेस या किसी अन्य दल ने चुनाव से पहले नामावली को लेकर कोई गंभीर शिकायत नहीं की थी। यह तथ्य आरोपों की हवा निकालता है।
5. नामावली संशोधन में सभी दलों की भागीदारी
निर्वाचक नामावली के संशोधन में 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए 97,325 बूथ लेवल ऑफिसर नियुक्त किए गए थे। साथ ही, सभी दलों ने 1,03,727 बूथ लेवल एजेंट नियुक्त किए, जिनमें कांग्रेस के 27,099 एजेंट शामिल थे। इस व्यापक भागीदारी के बावजूद गड़बड़ी के आरोप लगाना गलत है। आयोग ने इसे कानून का अपमान करार दिया।
6. आयोग का कांग्रेस को जवाब
चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को कांग्रेस को दिए जवाब में इन सभी तथ्यों को विस्तार से रखा, जो उनकी वेबसाइट पर उपलब्ध है। आयोग ने कहा कि इन तथ्यों को नजरअंदाज कर बार-बार भ्रामक आरोप लगाना ठीक नहीं है। आयोग ने यह भी जोड़ा कि ऐसी अफवाहें न केवल कानून का अपमान करती हैं, बल्कि हजारों चुनाव कर्मचारियों और दलों के प्रतिनिधियों के अथक प्रयासों को भी कमजोर करती हैं।
पारदर्शिता और विश्वसनीयता पर जोर
चुनाव आयोग ने अपने बयान में दोहराया कि भारत में सभी चुनाव कानून के अनुसार होते हैं और इनकी विश्वसनीयता की विश्व स्तर पर सराहना होती है। मतदाता सूची की तैयारी, मतदान और मतगणना जैसी हर प्रक्रिया में सरकारी कर्मचारी और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि शामिल होते हैं। आयोग ने कहा कि हार के बाद चुनाव आयोग पर सवाल उठाना न केवल बेतुका है, बल्कि लोकतंत्र की भावना के खिलाफ है।
निष्कर्ष: लोकतंत्र की मजबूती का संदेश
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में उठाए गए सवालों का चुनाव आयोग ने तथ्यों और आंकड़ों के साथ जवाब दिया है। आयोग ने न केवल अपनी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता को साबित किया, बल्कि राजनीतिक दलों से भी अपील की कि वे तथ्यों के आधार पर सुझाव दें। यह घटना हमें याद दिलाती है कि भारत का चुनावी तंत्र मजबूत और निष्पक्ष है, और इसे बदनाम करने की कोशिशें लोकतंत्र को कमजोर कर सकती हैं।