दसवीं और बारहवीं बोर्ड का एग्जाम देने वालों के लिए खुशखबरी, अब फैल होने का डर खत्म...!

राजस्थान शिक्षा विभाग ने दसवीं और बारहवीं कक्षा के उन छात्र-छात्राओं के लिए एक नई राहत की खबर लाई है, जो बोर्ड परीक्षाओं में असफल हो जाते हैं। अब ऐसे छात्रों का पूरा साल बर्बाद नहीं होगा, क्योंकि शिक्षा विभाग ने "ऑन डिमांड एग्जाम कॉन्सेप्ट" को लागू करने का फैसला किया है।

दसवीं और बारहवीं बोर्ड का एग्जाम देने वालों के लिए खुशखबरी, अब फैल होने का डर खत्म...!

रिपोर्टर/राजेंद्र सिंह:राजस्थान शिक्षा विभाग ने दसवीं और बारहवीं कक्षा के उन छात्र-छात्राओं के लिए एक नई राहत की खबर लाई है, जो बोर्ड परीक्षाओं में असफल हो जाते हैं। अब ऐसे छात्रों का पूरा साल बर्बाद नहीं होगा, क्योंकि शिक्षा विभाग ने "ऑन डिमांड एग्जाम कॉन्सेप्ट" को लागू करने का फैसला किया है। यह कॉन्सेप्ट उन छात्रों के लिए वरदान साबित होगा, जो किसी कारणवश अपनी बोर्ड परीक्षा में पास नहीं हो पाते। आइए जानते हैं इस नई पहल के बारे में विस्तार से। 

क्या है 'ऑन डिमांड एग्जाम कॉन्सेप्ट'?

'ऑन डिमांड एग्जाम' एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें बोर्ड परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों को दोबारा परीक्षा देने का मौका दिया जाएगा, वो भी जल्दी और लचीले तरीके से। इस कॉन्सेप्ट के तहत छात्रों को साल में चार बार परीक्षा देने का अवसर मिलेगा। सबसे खास बात यह है कि अगर कोई छात्र कुछ विषयों में पास हो गया है, तो उसे उन विषयों की परीक्षा दोबारा नहीं देनी पड़ेगी। यानी, छात्र को केवल उन विषयों में परीक्षा देनी होगी, जिनमें वह फेल हुआ है। इससे न सिर्फ समय की बचत होगी, बल्कि छात्रों का आत्मविश्वास भी बना रहेगा।

कैसे मिलेगी छात्रों को राहत?

पहले, अगर कोई छात्र बोर्ड परीक्षा में फेल हो जाता था, तो उसे अगले साल तक इंतजार करना पड़ता था, जिससे उसका एक साल बर्बाद हो जाता था। इस दौरान कई छात्र पढ़ाई से विमुख हो जाते थे या हताशा के कारण गलत रास्ते पर चले जाते थे। लेकिन अब इस नई व्यवस्था के तहत, फेल होने वाले छात्रों को जल्दी ही दोबारा परीक्षा देने का मौका मिलेगा। चार मौकों की वजह से छात्रों को अपनी कमजोरियों को सुधारने और पास होने का बेहतर अवसर मिलेगा। यह कदम खास तौर पर उन छात्रों के लिए फायदेमंद होगा, जो छोटी-मोटी गलतियों या तनाव के कारण परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते।

शिक्षा विभाग का मकसद

राजस्थान शिक्षा विभाग का कहना है कि इस कॉन्सेप्ट का मुख्य उद्देश्य छात्रों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करना और उनके भविष्य को सुरक्षित करना है। विभाग का मानना है कि एक साल का नुकसान छात्रों के करियर और मानसिक स्वास्थ्य पर बुरा असर डाल सकता है। इसलिए, इस नई पहल के जरिए शिक्षा को और समावेशी और छात्र-हितैषी बनाया जा रहा है। साथ ही, यह कदम ड्रॉपआउट दर को कम करने में भी मदद करेगा, क्योंकि छात्रों को लगेगा कि उनके पास पास होने का एक और मौका है।

कब से लागू होगी यह योजना?

हालांकि, शिक्षा विभाग ने अभी इस कॉन्सेप्ट को लागू करने की सटीक तारीख की घोषणा नहीं की है, लेकिन माना जा रहा है कि इसे जल्द ही शुरू कर दिया जाएगा। यह खबर आज, 5 अप्रैल 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर कई पोस्ट्स के जरिए सामने आई है, जहां इसे लेकर छात्रों और अभिभावकों में उत्साह देखा जा रहा है।

छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया

इस खबर के बाद से छात्रों और अभिभावकों में खुशी की लहर है। जयपुर के एक अभिभावक रमेश शर्मा ने कहा, "यह बहुत अच्छा कदम है। मेरी बेटी पिछले साल 12वीं में एक विषय में फेल हो गई थी, जिसके कारण उसका पूरा साल खराब हो गया। अगर यह योजना पहले होती, तो उसे इतना तनाव नहीं झेलना पड़ता।" वहीं, एक छात्रा प्रिया ने बताया, "अब हमें डर नहीं लगेगा कि फेल होने पर क्या होगा। चार मौके मिलने से हम अपनी तैयारी बेहतर कर सकते हैं।"

एक नई उम्मीद की किरण

'ऑन डिमांड एग्जाम कॉन्सेप्ट' न सिर्फ राजस्थान के छात्रों के लिए एक नई उम्मीद लेकर आया है, बल्कि यह शिक्षा व्यवस्था में एक बड़ा बदलाव भी लाने वाला है। यह कदम न केवल छात्रों को तनावमुक्त रखेगा, बल्कि उन्हें अपनी गलतियों से सीखने और आगे बढ़ने का मौका भी देगा। अब देखना यह है कि यह योजना कब लागू होती है और इसका छात्रों पर क्या प्रभाव पड़ता है।