गृह विभाग से बड़ी खबर: चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों की सुरक्षा के लिए नई SOP जारी
जयपुर, 21 मार्च 2025: चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों के खिलाफ अब आसानी से मुकदमा दर्ज करना संभव नहीं होगा। राजस्थान सरकार के गृह विभाग ने चिकित्सकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की है। इस SOP के तहत चिकित्सकों या चिकित्साकर्मियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक (SP) या समकक्ष अधिकारी से पूर्व अनुमति लेनी होगी। यह कदम चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत लोगों को अनावश्यक कानूनी उत्पीड़न से बचाने और उनके मनोबल को बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।

जयपुर रिपोर्ट जसवंत सिंह-:21 मार्च 2025: चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों के खिलाफ अब आसानी से मुकदमा दर्ज करना संभव नहीं होगा। राजस्थान सरकार के गृह विभाग ने चिकित्सकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए एक नई स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) जारी की है। इस SOP के तहत चिकित्सकों या चिकित्साकर्मियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक (SP) या समकक्ष अधिकारी से पूर्व अनुमति लेनी होगी। यह कदम चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत लोगों को अनावश्यक कानूनी उत्पीड़न से बचाने और उनके मनोबल को बनाए रखने के उद्देश्य से उठाया गया है।
SOP जारी करने की पृष्ठभूमि
हाल के वर्षों में चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों पर हमलों और उनके खिलाफ आपराधिक मामलों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है। कई बार मरीजों के परिजन इलाज के दौरान कथित लापरवाही का आरोप लगाकर आधी-अधूरी जानकारी के आधार पर पुलिस में शिकायत दर्ज करा देते हैं। ऐसी स्थिति में चिकित्सक और मेडिकल स्टाफ को मानसिक और कानूनी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश के बाद राज्य सरकार ने इस दिशा में ठोस कदम उठाते हुए यह SOP लागू की है।
SOP के प्रमुख प्रावधान
नई SOP में कई महत्वपूर्ण प्रावधान शामिल किए गए हैं, जो चिकित्सकों और चिकित्साकर्मियों को सुरक्षा प्रदान करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं:
मुकदमा दर्ज करने से पहले जांच अनिवार्य: चिकित्सकों के खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज करने से पहले शिकायत की प्रारंभिक जांच की जाएगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि शिकायत में पर्याप्त सबूत और ठोस आधार मौजूद हों।
SP की अनुमति अनिवार्य: किसी भी चिकित्सक या चिकित्साकर्मी की गिरफ्तारी से पहले संबंधित पुलिस स्टेशन के थानाधिकारी (SHO) को अपने क्षेत्र के पुलिस अधीक्षक (SP) या पुलिस उपायुक्त (DCP) से लिखित अनुमति लेनी होगी। बिना अनुमति के गिरफ्तारी नहीं की जा सकेगी।
चिकित्सा विशेषज्ञों की राय: कथित लापरवाही के मामलों में चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञों की एक समिति से राय ली जाएगी, ताकि यह तय हो सके कि मामला आपराधिक है या नहीं।
मानसिक उत्पीड़न पर रोक: SOP में स्पष्ट किया गया है कि अधूरी जानकारी के आधार पर चिकित्सकों को परेशान करने की प्रवृत्ति को रोका जाएगा। इससे चिकित्सकों का कार्यक्षेत्र में आत्मविश्वास बना रहेगा।
चिकित्सकों ने किया स्वागत
इस फैसले का चिकित्सा समुदाय ने व्यापक स्वागत किया है। राजस्थान मेडिकल काउंसिल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "यह SOP चिकित्सकों के लिए एक सुरक्षा कवच की तरह है। कई बार हमें बिना किसी ठोस सबूत के कानूनी कार्रवाइयों का सामना करना पड़ता था, जिससे हमारा मनोबल टूटता था। अब यह सुनिश्चित होगा कि हमारे खिलाफ कोई भी कार्रवाई सोच-समझकर और उचित जांच के बाद ही होगी।"
सरकार का पक्ष
गृह विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह कदम चिकित्सकों और आम जनता के बीच संतुलन बनाए रखने के लिए उठाया गया है। उन्होंने कहा, "हमारा उद्देश्य चिकित्सकों को सुरक्षित कार्य वातावरण प्रदान करना है, ताकि वे बिना किसी डर के अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकें। साथ ही, यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि वास्तविक लापरवाही के मामलों में उचित कार्रवाई हो।"
जनता और चिकित्सकों के बीच संतुलन
हालांकि इस SOP को चिकित्सकों के लिए राहत के रूप में देखा जा रहा है, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि इससे मरीजों के परिजनों को न्याय मिलने में देरी हो सकती है। इस पर सरकार ने स्पष्ट किया कि SOP का मकसद किसी को न्याय से वंचित करना नहीं, बल्कि अनुचित और जल्दबाजी में की गई कार्रवाइयों को रोकना है।
आगे की राह
यह SOP न केवल चिकित्सकों की सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता को भी बेहतर करने में मदद कर सकती है। विशेषज्ञों का कहना है कि जब चिकित्सक बिना किसी दबाव के काम करेंगे, तो वे मरीजों को बेहतर इलाज प्रदान कर पाएंगे।
इसके साथ ही, गृह विभाग ने सभी पुलिस अधिकारियों को इस SOP का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए हैं। आने वाले दिनों में इसके प्रभाव को देखा जाएगा कि यह कितना सफलतापूर्वक लागू होती है और चिकित्सा क्षेत्र में कार्यरत लोगों को कितनी राहत प्रदान करती है।