गोबर के आँगन में बैठकर खाई बाजरे की रोटी और घी पारंपरिक टाँके से अपने हाथों से बाल्टी भर निकाला पानी, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने बाड़मेर के ढूंढा गांव में दिखाया जनता से गहरा जुड़ाव"

गोबर के आँगन में बैठकर खाई बाजरे की रोटी और घी पारंपरिक टाँके से अपने हाथों से बाल्टी भर निकाला पानी, उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी ने बाड़मेर के ढूंढा गांव में दिखाया जनता से गहरा जुड़ाव"

जयपुर/बाड़मेर, 26 मार्च 2025: राजस्थान की उप मुख्यमंत्री और जयपुर राजघराने की राजकुमारी दीया कुमारी ने मंगलवार को बाड़मेर जिले के ढूंढा गांव में एक ऐसा नजारा पेश किया, जो न सिर्फ ग्रामीणों के लिए यादगार बन गया, बल्कि पूरे प्रदेश और देश के लिए एक प्रेरणादायक संदेश भी छोड़ गया। सत्ता के शीर्ष पर बैठीं दीया कुमारी ने अपनी सादगी और जनता के प्रति संवेदनशीलता का परिचय देते हुए देवासी समाज के एक परिवार के साथ उनके घर पर देशी भोजन का आनंद लिया। इसके बाद, उन्होंने घर के बाहर बने पारंपरिक पानी के टांके से बाल्टी के जरिए पानी निकालकर यह दिखाया कि वह अपनी जड़ों और आम जनता के जीवन से कितनी गहराई से जुड़ी है

ग्रामीण जीवन का अनुभव

दीया कुमारी का यह दौरा केवल औपचारिकता तक सीमित नहीं रहा। बाड़मेर पहुंचने पर उन्होंने ढूंढा गांव के एक साधारण परिवार के घर का रुख किया। वहां महिलाओं के हाथों से बने पारंपरिक व्यंजन 'कव्वा' का स्वाद लिया और परिवार के साथ जमीन पर बैठकर भोजन किया। यह दृश्य उस वक्त और खास बन गया, जब उप मुख्यमंत्री ने खुद पानी के टांके से बाल्टी उठाकर पानी निकाला। ग्रामीणों के लिए यह एक अनोखा पल था, क्योंकि शाही परिवार से ताल्लुक रखने वाली एक शख्सियत उनके बीच इस तरह बिना किसी तामझाम के शामिल हुई।

सादगी का संदेश

दीया कुमारी, जो जयपुर के शाही परिवार की तीसरी पीढ़ी से हैं और महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय की पोती हैं, ने इस मौके पर अपनी सादगी से सभी का दिल जीत लिया। उनके इस कदम को देखकर ग्रामीणों में उत्साह और गर्व की लहर दौड़ गई। एक स्थानीय महिला ने कहा, "हमने कभी नहीं सोचा था कि इतने बड़े पद पर बैठीं कोई हस्ती हमारे घर आएगी, हमारे साथ खाना खाएगी और हमारे रोजमर्रा के काम में हाथ बटाएगी। यह हमारे लिए सम्मान की बात है।"

 राजनीति से परे एक मिसाल

राजस्थान की राजनीति में सक्रिय दीया कुमारी ने इस दौरे के जरिए यह साबित किया कि उनका जुड़ाव केवल मतदाताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि वह जनता के जीवन को करीब से समझना और उसमें हिस्सा लेना चाहती हैं। यह घटना उस समय और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब देश और प्रदेश में नेताओं की छवि अक्सर आडंबर और दिखावे से जोड़ी जाती है। दीया कुमारी का यह कदम न सिर्फ उनकी व्यक्तिगत सादगी को दर्शाता है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि शाही रक्त और सत्ता का पद होने के बावजूद वह आम लोगों के बीच सहजता से घुलमिल सकती हैं।

ग्रामीणों की प्रतिक्रिया

ढूंढा गांव के लोगों के लिए यह दिन किसी उत्सव से कम नहीं था। देवासी समाज के एक बुजुर्ग ने कहा, "हमारे लिए यह गर्व की बात है कि उप मुख्यमंत्री ने हमारे घर को चुना और हमारे साथ वक्त बिताया। वह हमारे टांके से पानी निकाल रही थीं, तो ऐसा लगा जैसे वह हमारी बेटी हो।" इस दौरान दीया कुमारी ने ग्रामीणों से उनकी समस्याओं के बारे में भी बात की और उनके जीवन को बेहतर बनाने के लिए सरकार की योजनाओं का जिक्र किया।

एक नई मिसाल

राजस्थान में जल संकट और ग्रामीण जीवन की चुनौतियां किसी से छिपी नहीं हैं। ऐसे में दीया कुमारी का यह कदम न केवल प्रतीकात्मक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि वह इन मुद्दों को गंभीरता से लेती हैं। पानी के टांके से पानी निकालने का उनका प्रयास ग्रामीण महिलाओं के रोजमर्रा के संघर्ष को समझने की कोशिश को भी दर्शाता है। यह घटना सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में रही, जहां लोगों ने उनकी सादगी की तारीफ की और इसे एक सकारात्मक उदाहरण बताया। उप मुख्यमंत्री दीया कुमारी का यह दौरा सत्ता और शाही वैभव से परे एक मानवीय पहलू को सामने लाता है। जयपुर राजघराने की यह प्रिंसेस न सिर्फ अपने पद की जिम्मेदारियों को बखूबी निभा रही हैं, बल्कि जनता के बीच अपनी सादगी और सहजता से एक नया मानदंड भी स्थापित कर रही हैं। ढूंढा गांव का यह पल शायद आने वाले दिनों में लोगों के लिए प्रेरणा बनकर याद किया जाएगा, जब एक नेता ने अपने कार्यों से यह दिखाया कि असली शक्ति जनता के बीच रहने और उनके दुख-सुख को साझा करने में है।