गर्मी में पानी की एक बूंद ने तोड़ा रिश्तों का बंधन: पत्नी ससुराल छोड़ गईं मायके..!
जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर बसे इस गांव में पानी की भारी किल्लत ने एक महिला को अपने पति का घर छोड़कर मायके लौटने पर मजबूर कर दिया। यह कहानी न सिर्फ जल संकट की गंभीरता को उजागर करती है,

डिंडोरी, छत्तीसगढ़: पानी, जो जीवन का आधार है, वही आज डिंडोरी जिले के एक छोटे से गांव देवरा में रिश्तों की डोर को तोड़ने का कारण बन गया। जिला मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर बसे इस गांव में पानी की भारी किल्लत ने एक महिला को अपने पति का घर छोड़कर मायके लौटने पर मजबूर कर दिया। यह कहानी न सिर्फ जल संकट की गंभीरता को उजागर करती है, बल्कि यह भी बताती है कि पानी की कमी अब केवल प्यास का सवाल नहीं, बल्कि सामाजिक और पारिवारिक ढांचे को प्रभावित करने वाली बड़ी समस्या बन चुकी है।
जल संकट ने छीना सुकून
देवरा गांव के निवासी जितेंद्र सोनी की पत्नी लक्ष्मी ने पानी की अनुपलब्धता के कारण अपने बच्चों को लेकर मायके का रुख कर लिया। जितेंद्र ने बताया कि उनकी पत्नी ने साफ शब्दों में कह दिया, "जब तक गांव में पानी का इंतजाम नहीं होगा, मैं ससुराल नहीं लौटूंगी।" यह हाल सिर्फ जितेंद्र के घर का नहीं है। गांव की कई अन्य महिलाएं भी पानी की इस विकट समस्या के चलते अपने मायके चली गई हैं, जबकि कुछ जाने की तैयारी में हैं। ग्रामीणों का कहना है कि दो साल पहले जल जीवन मिशन के तहत ढाई करोड़ रुपये की लागत से नलजल योजना शुरू की गई थी, लेकिन यह योजना आज भी अधूरी पड़ी है। गांव की मुख्य आबादी अब भी पानी के लिए तरस रही है।
कलेक्टर की जनसुनवाई में अनोखी शिकायत
अपनी पीड़ा लेकर जितेंद्र सोनी डिंडोरी के कलेक्टर के पास जनसुनवाई में पहुंचे। उनकी यह अनोखी शिकायत सुनकर कलेक्टर हर्षिका सिंह भी हैरान रह गईं। यह कोई साधारण घरेलू झगड़ा नहीं था, बल्कि पानी की कमी से उपजी एक गंभीर सामाजिक समस्या थी। कलेक्टर ने तुरंत इस मामले को संज्ञान में लिया और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी (PHE) विभाग के अधिकारियों को देवरा गांव में पानी की समस्या को तत्काल हल करने के निर्देश दिए। इसके बाद पाइपलाइन बिछाने का काम शुरू हो गया, जिससे गांव वालों को अब उम्मीद की किरण नजर आने लगी है।
पानी: जीवन का आधार, रिश्तों की कसौटी
यह घटना पानी के महत्व को एक नए नजरिए से सामने लाती है। पानी सिर्फ शारीरिक जरूरतों को पूरा करने का साधन नहीं, बल्कि सामाजिक स्थिरता और पारिवारिक एकता का भी आधार है। देवरा गांव के हालात बताते हैं कि जब मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलतीं, तो इसका असर लोगों के जीवन पर कितना गहरा पड़ सकता है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर समय रहते पानी की व्यवस्था हो जाती, तो शायद कई परिवारों को यह दिन न देखना पड़ता।
उम्मीद की नई सुबह
कलेक्टर के निर्देश पर PHE विभाग ने तेजी से काम शुरू कर दिया है। पाइपलाइन बिछाने की प्रक्रिया चल रही है और गांव वालों को भरोसा है कि जल्द ही उनके घरों में नल से पानी बहेगा। जितेंद्र सोनी ने उम्मीद जताई कि पानी की समस्या खत्म होने के बाद उनकी पत्नी और बच्चे वापस लौट आएंगे। गांव की अन्य महिलाएं भी इस बदलाव का इंतजार कर रही हैं।
पानी की कीमत समझने की जरूरत
यह घटना हमें सोचने पर मजबूर करती है कि पानी जैसी बुनियादी जरूरत को हम कितना हल्के में लेते हैं। डिंडोरी का यह मामला सिर्फ एक गांव की कहानी नहीं, बल्कि उन लाखों ग्रामीण इलाकों की हकीकत है, जहां जल संकट अब भी जिंदगी को चुनौती दे रहा है। सरकार और समाज को मिलकर ऐसे कदम उठाने होंगे, ताकि पानी की एक-एक बूंद हर घर तक पहुंचे और कोई भी परिवार इसकी कमी के कारण टूटने की कगार पर न पहुंचे।