हैदराबाद के जंगलों का सच: विकास के नाम पर विनाश की चीखें क्यों गूंज रही हैं सोशल मीडिया पर?”
हैदराबाद के जंगलों में बुलडोजरों की गड़गड़ाहट और वन्यजीवों की चीख-पुकार ने सोशल मीडिया को हिला दिया है। 400 एकड़ का हरा-भरा जंगल, जिसे शहर का "फेफड़ा" कहा जाता है, विकास के नाम पर तबाह हो रहा है। वायरल वीडियो में मोरों की करुण पुकार और हिरणों की बेबसी ने लोगों का दिल दहला दिया। क्या है इस विनाश की असली हकीकत? आइए जानते हैं।

हैदराबाद, एक शहर जो अपनी निजामी संस्कृति और आधुनिक आईटी हब के लिए मशहूर है, आज एक अलग वजह से चर्चा में है। शहर के पास स्थित 400 एकड़ का घना जंगल, जिसमें पेड़-पौधों की सैकड़ों प्रजातियां और वन्यजीवों का बसेरा है, अब बुलडोजरों की भेंट चढ़ रहा है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में रात के अंधेरे में पेड़ों को काटते हुए भारी मशीनें और उनके बीच से आती मोरों की चीखें लोगों के दिलों को छू रही हैं। यह दृश्य न केवल हैदराबाद के पर्यावरण प्रेमियों को परेशान कर रहा है, बल्कि पूरे देश में एक सवाल खड़ा कर रहा है—क्या विकास की कीमत प्रकृति का विनाश है?
#### कहानी की शुरुआत
यह सब तब शुरू हुआ जब तेलंगाना सरकार ने कथित तौर पर हैदराबाद सेंट्रल यूनिवर्सिटी के पास कांचा गचीबोवली जंगल क्षेत्र को एक विशाल आईटी पार्क में तब्दील करने की योजना बनाई। सरकार का दावा है कि इस परियोजना से 50,000 करोड़ रुपये का निवेश आएगा और लाखों लोगों को रोजगार मिलेगा। लेकिन इस "सपने" को पूरा करने के लिए जो कदम उठाया गया, उसने जंगल को रातों-रात उजाड़ना शुरू कर दिया। वीडियो में दिख रहा है कि बुलडोजर पेड़ों को गिरा रहे हैं, जबकि हिरण भाग रहे हैं और मोर अपनी आखिरी उम्मीद में चीख रहे हैं।
#### सोशल मीडिया पर क्यों मचा हंगामा?
इन वीडियो को सबसे पहले हैदराबाद यूनिवर्सिटी के छात्रों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने शेयर किया। देखते ही देखते यह क्लिप्स वायरल हो गईं। लोगों ने इसे "विकास का क्रूर चेहरा" करार दिया। एक यूजर ने लिखा, "यह जंगल हैदराबाद का फेफड़ा है, इसे काटना मतलब शहर को दम घोंटना है।" एक अन्य ने सवाल उठाया, "क्या पैसा पेड़ों से ज्यादा कीमती है?" इन वीडियो की सच्चाई ने लोगों को झकझोर कर रख दिया, क्योंकि यह पहली बार नहीं है जब विकास के नाम पर प्रकृति कुर्बान हुई हो, लेकिन शायद पहली बार इसकी चीखें इतनी साफ सुनाई दीं।
#### जंगल का महत्व
कांचा गचीबोवली जंगल सिर्फ पेड़ों का समूह नहीं है। यह 455 से ज्यादा पौधों की प्रजातियों, 220 से अधिक पक्षियों, और हिरण, अजगर जैसे वन्यजीवों का घर है। पर्यावरणविदों का कहना है कि यह क्षेत्र शहर के प्रदूषण को कम करने और तापमान को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है। इसे हैदराबाद का "हरा दिल" भी कहा जाता है। लेकिन अब यह दिल धड़कना बंद करने की कगार पर है।
#### सरकार का पक्ष और विरोध की लहर
तेलंगाना सरकार का कहना है कि यह परियोजना राज्य की अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी। लेकिन छात्रों, स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इसका कड़ा विरोध शुरू कर दिया। प्रदर्शन के दौरान कई छात्रों को हिरासत में लिया गया, जिससे मामला और गरमा गया। मामला तेलंगाना हाईकोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। सुप्रीम कोर्ट ने 3 अप्रैल 2025 को पेड़ों की कटाई पर अंतरिम रोक लगा दी और सरकार से पूछा, "इस जल्दबाजी की क्या मजबूरी थी?"
#### वायरल वीडियो की सच्चाई
क्या ये वीडियो सचमुच असली हैं? कई लोगों ने इसे AI जनरेटेड होने का शक जताया, लेकिन खबरों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों से यह पुष्टि होती है कि यह हकीकत है। कटाई की शुरुआत 30 मार्च को हुई थी, और तब से यह जंगल धीरे-धीरे खत्म हो रहा है। वीडियो में दिख रही चीखें और तबाही इस बात का सबूत हैं कि विकास की इस दौड़ में मूक प्राणियों की कोई सुनवाई नहीं है।
#### आगे क्या?
यह कहानी अभी खत्म नहीं हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने 16 अप्रैल को अगली सुनवाई तय की है, जिसमें इस जंगल के भविष्य का फैसला होगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या तब तक कुछ बचेगा? सोशल मीडिया पर लोग इसे राष्ट्रीय उद्यान घोषित करने की मांग कर रहे हैं, ताकि यह जैव-विविधता का खजाना बचा रहे।
#### निष्कर्ष
हैदराबाद के जंगलों का यह विनाश सिर्फ एक शहर की कहानी नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के लिए एक सबक है। विकास जरूरी है, लेकिन क्या वह प्रकृति की कीमत पर होना चाहिए? सोशल मीडिया पर वायरल ये वीडियो एक चेतावनी हैं—अगर हमने आज नहीं सुना, तो कल शायद सुनने के लिए कुछ बचेगा ही नहीं। आप क्या सोचते हैं? अपनी राय जरूर बताएं!