जोधपुर में बाल विवाह की चुपके से साजिश: पुलिस की पाबंदी को ठेंगा, 15 साल की नाबालिग की 17 साल के लड़के से शादी
जोधपुर के बासनी थाना क्षेत्र में 15 साल की नाबालिग लड़की और 17 साल के लड़के की शादी का मामला सामने आया। पुलिस को 14 अप्रैल को सूचना मिली, जिसके बाद परिवार को पाबंद कर शपथ पत्र लिया गया।

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर/जोधपुर में बाल विवाह का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां पुलिस और प्रशासन की सख्ती के बावजूद 15 साल की नाबालिग लड़की की 17 साल के लड़के से शादी करवाने का दावा किया जा रहा है। बासनी पुलिस ने परिवार को पाबंद कर शपथ पत्र भी भरवाया था कि नाबालिग की शादी नहीं होगी, लेकिन परिवार ने कथित तौर पर चुपके से 20 किलोमीटर दूर लूणी थाना क्षेत्र के एक गांव में शादी करवा दी। शादी की तस्वीरें सामने आने के बाद पुलिस जांच की बात कह रही है, लेकिन प्रशासन की चुप्पी सवाल खड़े कर रही है।
14 अप्रैल को मिली थी शादी की सूचना
14 अप्रैल को जोधपुर के बासनी थाना क्षेत्र में बाल कल्याण समिति न्यायपीठ जोधपुर के अध्यक्ष विक्रम चेतन सरगरा को सूचना मिली थी कि एक 15 साल की नाबालिग लड़की की शादी की तैयारी चल रही है। सूचना पर बासनी पुलिस तुरंत हरकत में आई और भोमियाजी कॉलोनी में मौके पर पहुंची। जांच में पता चला कि परिवार अपनी बड़ी बेटी के मुकलावे (गौना) के साथ छोटी बेटी की शादी की तैयारी कर रहा था। लड़के की उम्र 17 साल और लड़की की उम्र 15 साल बताई गई। पुलिस ने परिवार को बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत सख्त चेतावनी दी और लिखित शपथ पत्र लिया कि नाबालिग की शादी नहीं होगी।
चुपके से मंदिर में रचाई शादी
परिवार से जुड़े सूत्रों ने दावा किया कि पुलिस की कार्रवाई के बाद भी परिवार ने हार नहीं मानी। 14 अप्रैल को ही बारात तनावड़ा से आने वाली थी, लेकिन पुलिस की मौजूदगी की खबर मिलते ही दूल्हे को लूणी थाना क्षेत्र के एक गांव में ले जाया गया, जो भोमियाजी कॉलोनी से करीब 20 किलोमीटर दूर है। दुल्हन और उसके परिवार के कुछ लोग भी वहां पहुंचे। दोपहर 3 बजे एक मंदिर में 10-12 करीबी लोगों की मौजूदगी में दोनों की शादी करवा दी गई। सूत्रों के मुताबिक, दूल्हे की चाची गांव की सरपंच है, जिसने कथित तौर पर इस शादी में अहम भूमिका निभाई।
17 अप्रैल को रिसेप्शन, तस्वीरें हुईं वायरल
सूत्रों का दावा है कि शादी के बाद 17 अप्रैल को रिसेप्शन का आयोजन किया गया। इस दौरान दूल्हा-दुल्हन शादी के जोड़े में नजर आए और बड़े-बुजुर्गों से आशीर्वाद लिया। शादी और रिसेप्शन की तस्वीरें अब सामने आई हैं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। इन तस्वीरों ने पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। परिवार के एक परिचित ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि शादी के बाद के सभी रिवाज 17 अप्रैल को पूरे किए गए।
पुलिस की सफाई, जांच की बात
बासनी थाना एसएचओ नितिन दवे ने कहा कि 14 अप्रैल को सूचना पर पुलिस ने मौके पर कार्रवाई की थी। परिवार ने लिखित में दिया था कि वे केवल बड़ी बेटी का मुकलावा कर रहे हैं, नाबालिग की शादी नहीं हो रही। अब जो तस्वीरें सामने आई हैं, उनकी जांच की जा रही है। एसएचओ ने बताया कि उम्र से संबंधित दस्तावेजों की जांच की गई थी और परिवार को कानूनी परिणामों की चेतावनी दी गई थी। हालांकि, शादी की पुष्टि होने पर बाल विवाह निषेध अधिनियम के तहत कार्रवाई की बात कही जा रही है।
प्रशासन की चुप्पी, सवालों का दौर
इस मामले में पुलिस के साथ-साथ जिला प्रशासन और बाल कल्याण समिति की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। सूचना के बाद त्वरित कार्रवाई के बावजूद शादी को रोकने में नाकामी क्यों रही? क्या पुलिस की निगरानी में कमी थी? दूल्हे की चाची के सरपंच होने की बात भी जांच का विषय बन रही है, क्योंकि इससे स्थानीय प्रभाव का अंदेशा जताया जा रहा है।
बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006
बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 के तहत 18 साल से कम उम्र की लड़की और 21 साल से कम उम्र के लड़के की शादी गैरकानूनी है। दोषी पाए जाने पर 2 साल की सजा और 1 लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। इस मामले में दोनों पक्ष नाबालिग हैं, जिसके चलते परिवार और शादी में शामिल लोगों पर कार्रवाई हो सकती है।