केमिकल के पानी ने छीनी गांवों की जिंदगी: कुंवारे रह गए लड़के, खेत बंजर, मच्छरों का आतंक
जोधपुर के डोली कला और आसपास के 50 से अधिक गांवों में फैक्ट्रियों के केमिकल युक्त पानी ने तबाही मचा दी है। खेत बंजर हो गए, तालाब और ग्राउंड वाटर दूषित हो चुके हैं, और साफ पानी की कमी ने ग्रामीणों को जोधपुर जैसे शहरों में पलायन करने को मजबूर कर दिया। गांव के युवाओं की शादी नहीं हो रही

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर - जोधपुर, राजस्थान: डोली कला और आसपास के 50 से ज्यादा गांवों की जिंदगी केमिकल युक्त पानी ने तबाह कर दी है। खेत बंजर हो चुके हैं, तालाब जहरीले हो गए हैं, और गांव के लड़के शादी के लिए तरस रहे हैं। वजह? फैक्ट्रियों का गंदा पानी, जो न सिर्फ जमीन और पानी को निगल रहा है, बल्कि इन गांवों की उम्मीदों को भी खत्म कर रहा है।
खेतों में जहर, गांवों में सन्नाटा
हाईवे के किनारे डोली कला गांव की ओर बढ़ते ही आंखों के सामने बंजर खेतों का मंजर दिखता है। जहां कभी हरी-भरी फसलें लहलहाती थीं, वहां अब केमिकल से भरा काला, बदबूदार पानी खड़ा है। गांव के बुजुर्ग भूपता राम (65) बताते हैं, "15 साल पहले हमारे खेत सोना उगलते थे। अब ये पानी फसल तो क्या, इंसान और जानवरों की जिंदगी भी छीन रहा है।"
गांव की आबादी कभी 2,000 थी, लेकिन अब ज्यादातर लोग जोधपुर या अन्य शहरों में किराए के मकानों में रहने को मजबूर हैं। खेती छोड़कर नौकरी करना इनकी मजबूरी बन गई है। कुछ लोग पास के गांवों में बटाई पर खेती कर रहे हैं, जहां अभी केमिकल का पानी नहीं पहुंचा। लेकिन ये भी कितने दिन चलेगा?
कुंवारे लड़के और शादी का संकट
केमिकल युक्त पानी ने गांवों में एक अनोखा सामाजिक संकट पैदा कर दिया है। गांव के युवा लड़के शादी के लिए तरस रहे हैं। स्थानीय निवासी लिखमाराम (42) कहते हैं, "हमारे गांव का नाम सुनते ही रिश्ते वाले मुंह फेर लेते हैं। लोग कहते हैं, 'वहां तो पानी ही जहर है, हम अपनी बेटी को वहां कैसे भेजें?'"
इसके चलते गांव के कई युवा 30-35 की उम्र पार कर चुके हैं, लेकिन उनकी शादी नहीं हो रही। ढोली कला के ही एक युवा ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, "हमारे पास खेत हैं, घर है, लेकिन साफ पानी और अच्छी फसल नहीं। लड़की वाले पूछते हैं, 'आपकी जमीन तो बंजर है, हमारी बेटी क्या खाएगी?'"
तालाब से कुएं तक, हर जगह जहर
डोली कला का एक तालाब कभी 16 गांवों की जीवनरेखा था। आज उसमें भी केमिकल मिश्रित पानी भर गया है। ग्रामीण कार्यकर्ता श्रवण पटेल बताते हैं, "न सिर्फ तालाब, बल्कि ग्राउंड वाटर भी दूषित हो चुका है। बोरिंग से निकलने वाला पानी भी पीने लायक नहीं। गांव में एकमात्र कुआं बचा है, लेकिन उसके आसपास भी केमिकल का पानी जमा है। लोग वहां तक पहुंच भी नहीं पाते।"
साफ पानी की व्यवस्था भी नाममात्र की है। कुछ गांवों में महीने में एक बार पानी का कनेक्शन आता था, लेकिन अब दो महीने से वह भी बंद है। पशु भी यही जहरीला पानी पीने को मजबूर हैं, जिससे उनकी सेहत पर असर पड़ रहा है।
मच्छरों का आतंक, बंजर जमीनें
केमिकल युक्त पानी ने खेतों को दलदल में बदल दिया है। दिन-रात मच्छरों का आतंक ऐसा है कि लोग घरों में चैन से नहीं रह पाते। धवा, मैलबा, अराबा, साहिब नगर और बाबलो की ढाणी जैसे गांव, जो नदी किनारे बसे हैं, सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। जोधपुर से 80 किलोमीटर दूर कल्याणपुरा तक यह जहरीला पानी पहुंच चुका है।
15 साल की अनसुनी पुकार
ग्रामीणों का कहना है कि यह समस्या 15 साल से चली आ रही है। हर बार सरकार और प्रशासन से सिर्फ आश्वासन मिलते हैं। श्रवण पटेल कहते हैं, "हमने हर दरवाजा खटखटाया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं। फैक्ट्रियां बेरोकटोक गंदा पानी बहा रही हैं। अगर यही हाल रहा, तो ये गांव पूरी तरह उजड़ जाएंगे।"
रोचक तथ्य: एक नजर में
50+ गांव प्रभावित: केमिकल युक्त पानी ने जोधपुर के 50 से ज्यादा गांवों की जमीन को बंजर कर दिया।
16 गांवों का तालाब बर्बाद:डोली कला का तालाब, जो कभी 16 गांवों की प्यास बुझाता था, अब जहर का गड्ढा बन चुका है।
शादी का संकट: गांव का नाम सुनते ही रिश्ते टूट रहे हैं, दर्जनों युवा कुंवारे।
मच्छरों का आतंक: जहरीले पानी से दलदल बनने के कारण मच्छरों की संख्या बेकाबू।
80 क्या है समाधान किमी तक फैला जहर: जोधपुर से कल्याणपुरा तक केमिकल का पानी पहुंच चुका है।
क्या है समाधान?
ग्रामीणों की मांग है कि फैक्ट्रियों के गंदे पानी को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएं। साफ पानी की नियमित आपूर्ति और दूषित ग्राउंड वाटर की सफाई के लिए ठोस योजना बनाई जाए। अगर जल्द कदम नहीं उठाए गए, तो ये गांव नक्शे से मिट सकते हैं, और आने वाली पीढ़ियों के लिए सिर्फ जहरीली जमीन बचेगी।
आप क्या सोचते हैं? क्या इन गांवों को बचाने के लिए सरकार और समाज को एकजुट होने की जरूरत है? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएं।