"मासूम की मासूमियत पर साये: स्कूल बस में छिपा खौफ"

जयपुर के करधनी इलाके में एक सात साल की बच्ची के साथ स्कूल बस कंडक्टर द्वारा छेड़छाड़ का दिल दहलाने वाला मामला सामने आया। बच्ची का स्कूल में पहला दिन 1 अप्रैल को था, और अगले दिन उसके जन्मदिन पर कंडक्टर ने उसकी मासूमियत को निशाना बनाया।

"मासूम की मासूमियत पर साये: स्कूल बस में छिपा खौफ"

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर - जयपुर के करधनी इलाके में एक सात साल की बच्ची की मासूमियत पर उस वक्त काला साया पड़ गया, जब स्कूल बस का कंडक्टर, जिसे वह 'भैया' कहकर भरोसा करती थी, उसका शिकार बना। यह कहानी न सिर्फ दिल दहलाने वाली है, बल्कि उन माता-पिताओं के लिए भी एक चेतावनी है, जो अपने बच्चों को स्कूल बसों में सुरक्षित मानकर भेजते हैं। 

1 अप्रैल 2025, बच्ची का स्कूल में पहला दिन था। नन्हा सा दिल नए दोस्तों और किताबों की दुनिया में खोने को बेताब था। अगले दिन, 2 अप्रैल को उसका जन्मदिन था। केक, गुब्बारे और मां के हाथ की बनी खीर ने उस दिन को और खास बना दिया। लेकिन उस खुशी पर ग्रहण लग गया, जब स्कूल बस में कंडक्टर ने उसकी मासूमियत को निशाना बनाया। बच्ची की मां के मुताबिक, जब उसने अपनी आपबीती बताई, तो ऐसा लगा जैसे जमीन ही खिसक गई।

"वो भैया कहते थे, 'चलो, लुका-छिपी खेलते हैं। तुम पीछे की सीट के नीचे छुप जाओ।' मैं डरती थी, लेकिन वो कहते, 'कोई नहीं देखेगा।' फिर वो मुझे... किस करते थे," बच्ची ने कांपती आवाज में बताया। उसकी मासूम आंखों में डर और भरोसे का टूटना साफ झलक रहा था।

सदमे में डूबी मासूम

घटना के बाद बच्ची का बचपन जैसे थम सा गया है। वह अब पहले की तरह न बेफिक्र हंसती है, न खेलती है। रात को नींद से चौंककर उठती है और मां से लिपटकर पूछती है, "मम्मी, उस बुरे भैया को सजा मिलेगी न?" मां उसे सीने से लगाकर तसल्ली देती है, लेकिन उसका अपना दिल भी बेचैन है। बच्ची के पिता ने करधनी थाने में शिकायत दर्ज कराई है, और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

पुलिस के मुताबिक, आरोपी कंडक्टर नाबालिग है और स्कूल स्टाफ के किसी रिश्तेदार का बेटा है। बस में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली जा रही है। करधनी थानाधिकारी सवाई सिंह ने बताया, "हम हर पहलू की जांच कर रहे हैं। बच्ची की बातें और सबूतों के आधार पर कार्रवाई होगी।"

चॉकलेट ने खोला राज

बात तब सामने आई, जब एक दिन बच्ची के बैग से मां को चॉकलेट मिली। मां ने पूछा, "ये कहां से आई?" बच्ची ने मासूमियत से जवाब दिया, "बस वाले भैया ने दी। वो मेरे साथ लुका-छिपी खेलते हैं।" मां ने जब और सवाल किए, तो बच्ची ने सारी बात उगल दी। उसने बताया कि कंडक्टर उसे चॉकलेट देकर चुप कराता था और डराता था कि अगर उसने किसी को बताया, तो वह उसे मार देगा।

परिवार की बेबसी, समाज का सवाल

बच्ची का परिवार आज गुस्से और दुख के बीच झूल रहा है। पिता कहते हैं, "हमने सोचा था कि स्कूल बस में हमारी बेटी सुरक्षित है। लेकिन अब हमारा भरोसा टूट गया।" बच्ची की मां का कहना है कि वह अब अपनी बेटी को अकेले कहीं भेजने से डरती है। यह घटना सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सवाल है- क्या हम अपने बच्चों को सचमुच सुरक्षित माहौल दे पा रहे हैं?

पुलिस और स्कूल की जिम्मेदारी

पुलिस ने स्कूल प्रबंधन से भी पूछताछ शुरू की है। सवाल यह है कि स्कूल ने कंडक्टर की नियुक्ति से पहले उसका सत्यापन क्यों नहीं किया? क्या बस में कोई केयरटेकर मौजूद नहीं था? इन सवालों के जवाब आने बाकी हैं। वहीं, स्थानीय लोग स्कूल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

एक मासूम की पुकार

जब हमने बच्ची से बात की, तो उसने अपनी छोटी-सी डायरी दिखाई, जिसमें उसने रंग-बिरंगे फूल बनाए थे। उसने धीमी आवाज में कहा, "मैं अब बस में नहीं जाना चाहती। क्या आप मेरी मम्मी को बोलेंगे कि वो मुझे स्कूल छोड़ने आए?" उसकी यह बात हर उस इंसान के लिए एक सबक है, जो बच्चों की सुरक्षा को हल्के में लेता है।

यह घटना हमें झकझोरती है कि बच्चों की सुरक्षा के लिए सिर्फ कानून काफी नहीं, बल्कि स्कूलों, परिवारों और समाज को मिलकर एक सख्त तंत्र बनाना होगा।