वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मोदी सरकार कैबिनेट ने मंजूरी

नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह महत्वपूर्ण फैसला बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। इस प्रस्ताव का उद्देश्य देश में बार-बार चुनाव कराने की प्रथा को समाप्त करना और एक ही समय पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराना है।

वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मोदी सरकार कैबिनेट ने मंजूरी
वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मोदी सरकार कैबिनेट ने मंजूरी

नई दिल्ली: नरेंद्र मोदी सरकार की कैबिनेट ने वन नेशन वन इलेक्शन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। यह महत्वपूर्ण फैसला बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में लिया गया। इस प्रस्ताव का उद्देश्य देश में बार-बार चुनाव कराने की प्रथा को समाप्त करना और एक ही समय पर लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराना है।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने मार्च में अपनी रिपोर्ट पेश की थी, जिसमें इस प्रस्ताव के फायदे और चुनौतियों का विस्तार से उल्लेख किया गया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लाल किले से दिए गए अपने भाषण में इस मुद्दे पर बात की थी। उन्होंने कहा था कि बार-बार चुनाव देश की प्रगति में बाधा उत्पन्न कर रहे हैं और इस समस्या का समाधान वन नेशन वन इलेक्शन से हो सकता है।

वन नेशन वन इलेक्शन के फायदे
वन नेशन वन इलेक्शन के कई फायदे बताए जा रहे हैं:
1. चुनाव पर होने वाले खर्च की बचत: बार-बार चुनाव कराने से सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से करोड़ों रुपये की बचत होगी।
2. निरंतरता में सुधार: बार-बार चुनाव से सरकार का ध्यान विकास कार्यों से हटकर चुनावी प्रक्रिया पर केंद्रित हो जाता है। इससे विकास की गति धीमी पड़ती है। एक साथ चुनाव कराने से इस समस्या का समाधान होगा।
3. आचार संहिता का प्रभाव: बार-बार आचार संहिता लागू होने से कई बड़े फैसलों पर असर पड़ता है। एक साथ चुनाव कराने से इस प्रभाव को कम किया जा सकेगा।
4. काले धन पर नियंत्रण: बार-बार चुनाव के दौरान काले धन का प्रवाह बढ़ता है। एक साथ चुनाव कराने से इस पर लगाम लगाई जा सकेगी।

एनडीए सरकार इस बिल को शीतकालीन सत्र में संसद में पेश करेगी। वन नेशन वन इलेक्शन की रिपोर्ट 18,626 पन्नों की है, जिसमें इस प्रणाली के लाभ और उसके कार्यान्वयन की संभावनाओं पर विस्तृत चर्चा की गई है।

इस फैसले से देश में चुनाव प्रक्रिया में सुधार आने की उम्मीद है और विकास कार्यों में निरंतरता बनी रहेगी।