मुर्शिदाबाद में सुलगती आग: 500 हिंदू परिवारों का पलायन और ममता सरकार पर सवालों का तूफान"

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा ने न केवल क्षेत्र को अशांति की आग में झोंक दिया, बल्कि सैकड़ों हिंदू परिवारों को अपनी जड़ें छोड़कर पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया।

मुर्शिदाबाद में सुलगती आग: 500 हिंदू परिवारों का पलायन और ममता सरकार पर सवालों का तूफान"

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर/पश्चिम बंगाल :के मुर्शिदाबाद जिले में हाल ही में वक्फ (संशोधन) अधिनियम के विरोध में भड़की हिंसा ने न केवल क्षेत्र को अशांति की आग में झोंक दिया, बल्कि सैकड़ों हिंदू परिवारों को अपनी जड़ें छोड़कर पलायन करने के लिए मजबूर कर दिया। इस घटना ने न सिर्फ कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए, बल्कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और उनकी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला खड़ा किया है। आइए, इस घटनाक्रम को गहराई से समझते हैं और जानते हैं कि कैसे एक कानून का विरोध हिंसा, पलायन और सियासी तूफान का कारण बन गया। 

हिंसा की शुरुआत: वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध

मुर्शिदाबाद, जो बांग्लादेश की सीमा से सटा एक मुस्लिम बहुल जिला है, में 8 अप्रैल 2025 को वक्फ (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ प्रदर्शन शुरू हुए। यह कानून, जिसे केंद्र सरकार ने वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन और पारदर्शिता के लिए पेश किया था, कुछ समुदायों के बीच विवाद का कारण बन गया। प्रदर्शन शुरू में शांतिपूर्ण थे, लेकिन जल्द ही हिंसक मोड़ ले लिया। सुती, धुलियान, जंगीपुर और शमशेरगंज जैसे इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने पथराव, आगजनी और लूटपाट शुरू कर दी।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस हिंसा में कम से कम तीन लोगों की मौत हुई, कई लोग घायल हुए, और करीब 200 हिंदू परिवारों के घरों को आग के हवाले कर दिया गया। उपद्रवियों पर गैस सिलिंडर और पेट्रोल का इस्तेमाल कर घरों और दुकानों को जलाने के आरोप हैं। इसके अलावा, कुछ तालाबों और पानी की टंकियों में जहर मिलाने की खबरें भी सामने आईं, जिससे मछलियां मर गईं और स्थानीय लोग दहशत में आ गए।

500 हिंदू परिवारों का पलायन: डर का माहौल

हिंसा के बाद मुर्शिदाबाद के धुलियान, सुती और शमशेरगंज जैसे क्षेत्रों से करीब 500 हिंदू परिवारों ने पलायन किया। ये परिवार भागीरथी नदी पार कर मालदा जिले में शरण लेने को मजबूर हुए, जहां स्थानीय प्रशासन ने स्कूलों में अस्थायी राहत शिविर बनाए। पलायन करने वालों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं, जिन्होंने बताया कि उनके घरों में आग लगा दी गई, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई, और पुरुषों को पीटा गया।

एक युवती, जो धुलियान के मंदिरपाड़ा इलाके से अपने परिवार के साथ भागी, ने बताया, "हमलावरों ने हमारे घरों में बम फेंके और हमें वक्फ अधिनियम के लिए दोषी ठहराया। हम अपनी जान बचाने के लिए केंद्रीय बलों की मदद से भागे।" एक अन्य बुजुर्ग महिला ने कहा, "हमने हाथ जोड़कर माफी मांगी, लेकिन हमलावरों ने हथियार लहराते हुए अत्याचार किए। हमारा सब कुछ छिन गया।"

राज्य के नेता प्रतिपक्ष और बीजेपी नेता शुभेंदु अधिकारी ने दावा किया कि धार्मिक कट्टरपंथियों के डर से 400 से अधिक हिंदू परिवार पलायन कर चुके हैं, और कई लोग झारखंड भी चले गए हैं।

ममता बनर्जी सरकार पर आरोपों की बौछार

इस हिंसा ने ममता बनर्जी सरकार को विपक्ष के निशाने पर ला दिया। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने इसे "हिंदू-विरोधी" और "राज्य प्रायोजित" हिंसा करार देते हुए ममता पर तुष्टिकरण की राजनीति का आरोप लगाया। बीजेपी प्रवक्ता प्रदीप भंडारी ने कहा, "ममता बनर्जी की सरकार न केवल हिंसा रोकने में विफल रही, बल्कि इसे राजनीतिक उद्देश्यों के लिए बढ़ावा दे रही है।"

बीजेपी सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर मुर्शिदाबाद, मालदा, नदिया और दक्षिण 24 परगना जैसे सीमावर्ती जिलों को सशस्त्र बल विशेष शक्तियां अधिनियम (अफस्पा) के तहत अशांत क्षेत्र घोषित करने की मांग की। उन्होंने स्थिति की तुलना 1990 के कश्मीरी पंडितों के पलायन से की। इसके अलावा, बीजेपी नेता दिलीप घोष ने ममता पर बंगाल को "बांग्लादेश जैसा" बनाने का आरोप लगाया, यह दावा करते हुए कि हिंसा में बांग्लादेशी कट्टरपंथी संगठनों का हाथ हो सकता है।

शुभेंदु अधिकारी ने ममता सरकार पर और भी तीखा हमला बोला, कहते हुए कि "बंगाल में हिंदुओं को वोट डालने से रोका जाता है जहां वे अल्पसंख्यक हैं। राष्ट्रपति शासन के बिना निष्पक्ष चुनाव संभव नहीं।" बीजेपी ने ममता के एक पुराने बयान का वीडियो भी साझा किया, जिसमें वे कह रही हैं, "अगर वे आंदोलन का आह्वान करते हैं, तो क्या आप खुद को नियंत्रित कर पाएंगे?" बीजेपी ने इसे हिंसा को "हरी झंडी" देने वाला बयान करार दिया।

ममता का जवाब और प्रशासनिक कदम

ममता बनर्जी ने हिंसा के बाद शांति की अपील की और कहा कि पश्चिम बंगाल में वक्फ संशोधन अधिनियम लागू नहीं होगा। उन्होंने लोगों से उकसावे में न आने और कानून का पालन करने को कहा। हालांकि, बीजेपी ने इसे "देर से उठाया गया कदम" करार दिया, यह तर्क देते हुए कि ममता का बयान हिंसा को भड़काने वाला था।

प्रशासन ने हिंसा को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए। कलकत्ता हाई कोर्ट के आदेश पर केंद्रीय बलों की 17 कंपनियां, जिनमें बीएसएफ की 9 और सीआरपीएफ की 8 कंपनियां शामिल हैं, तैनात की गईं। पुलिस ने अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है, और 11 एफआईआर दर्ज की गई हैं। मुर्शिदाबाद, मालदा और बीरभूम में इंटरनेट सेवाएं 15 अप्रैल तक निलंबित कर दी गईं।

ममता सरकार ने केंद्रीय गृह मंत्रालय को अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में बांग्लादेशी उपद्रवियों की संलिप्तता का संकेत दिया है। पुलिस सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश के जिहादी संगठन हिज्ब-उत-तहरीर के आतंकियों के सक्रिय होने की आशंका है।

सियासी तूफान और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला

हिंसा का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। वकील शशांक शेखर झा ने याचिका दायर कर कोर्ट की निगरानी में विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच की मांग की, यह दावा करते हुए कि "वक्फ बहाना है, हिंदू निशाने पर हैं।" याचिका में ममता सरकार से खराब कानून-व्यवस्था पर जवाब मांगने और हिंसा रोकने के आदेश देने की मांग की गई है।

 पश्चिम बंगाल के राज्यपाल सी.वी. आनंद बोस ने भी स्थिति पर चिंता जताई और कहा कि वे ममता बनर्जी के साथ नियमित संपर्क में हैं। केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय स्थिति पर नजर रख रहे हैं।