"पेपर लीक का काला खेल: माफियाओं ने रिश्तेदारों को बनाया थानेदार-पटवारी, SOG ने कसा शिकंजा"

राजस्थान में पेपर लीक माफियाओं पर SOG ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। पौरव कालेर, हर्षवर्धन मीणा, रोशन लाल मीणा जैसे मास्टरमाइंड्स ने करोड़ों में पेपर लीक कर अपने रिश्तेदारों को थानेदार, पटवारी और JEN जैसे पदों पर सेट किया। SOG ने 250 से ज्यादा संदिग्ध कर्मचारियों की लिस्ट तैयार की, जिनमें से 86 सस्पेंड या टर्मिनेट हो चुके हैं, जबकि 174 की जांच जारी है। पौरव की पत्नी भावना और साली प्रियंका भी लीक पेपर से नौकरी पाने के मामले में पकड़ी गईं। SIT की जांच और छापेमारी से इन माफियाओं का पर्दाफाश हुआ।

"पेपर लीक का काला खेल: माफियाओं ने रिश्तेदारों को बनाया थानेदार-पटवारी, SOG ने कसा शिकंजा"

रिपोर्ट/जसवंत सिंह शिवकर - राजस्थान में पेपर लीक का कुख्यात नेटवर्क अब तक कई युवाओं के सपनों को कुचल चुका है, लेकिन इस गोरखधंधे के मास्टरमाइंड्स ने अपने परिवार और रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियों में ऊंचे पदों पर बिठाने में कोई कसर नहीं छोड़ी। विशेष ऑपरेशन ग्रुप (SOG) ने अब इन माफियाओं और उनके संदिग्ध रिश्तेदारों पर नकेल कसना शुरू कर दिया है। पौरव कालेर, हर्षवर्धन मीणा और रोशन लाल मीणा जैसे बड़े नाम इस काले कारोबार के सरगना के रूप में सामने आए हैं, जिन्होंने करोड़ों रुपये में पेपर लीक करवाए और अपने परिवार वालों को थानेदार, पटवारी और जूनियर इंजीनियर (JEN) जैसे पदों पर सेट किया। 

माफियाओं का खेल: परिवार के 5-5 लोग नौकरी पर

SOG की जांच में खुलासा हुआ है कि इन माफियाओं ने न सिर्फ पेपर लीक करवाए, बल्कि अपने रिश्तेदारों को भी उसी लीक हुए पेपर के जरिए नौकरी दिलवाई। कई मामलों में एक ही परिवार के 5-5 सदस्य सरकारी नौकरियों में सिलेक्ट हो गए। SOG ने अब तक 250 से ज्यादा ऐसे कर्मचारी-अफसरों की लिस्ट तैयार की है, जो इन माफियाओं के रिश्तेदार हैं और जिनका सिलेक्शन संदिग्ध माना जा रहा है। इनमें से 86 कर्मचारी या तो सस्पेंड कर दिए गए हैं या उनकी सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। वहीं, 174 कर्मचारियों के खिलाफ जांच जारी है, जिनमें से 15 की जांच विभागीय स्तर पर लंबित है।

पौरव कालेर: चूरू का कुख्यात मास्टरमाइंड

चूरू जिले के रामपुर का रहने वाला पौरव कालेर इस काले खेल का बड़ा खिलाड़ी है। कोर्ट एलडीसी भर्ती, एसआई भर्ती परीक्षा-2021, पटवारी भर्ती और ईओ-आरओ भर्ती जैसी कई परीक्षाओं में नकल और पेपर लीक के मामले में उस पर केस दर्ज हैं। पौरव ने करोड़ों रुपये में पेपर बेचे और अपने परिवार को भी फायदा पहुंचाया। उसकी पत्नी भावना गोस्वामी ईओ-आरओ भर्ती परीक्षा में लीक पेपर से सिलेक्ट हुई थी। SOG ने उसे गिरफ्तार कर लिया। इससे पहले 3 साल पहले भावना पटवारी भर्ती परीक्षा में नकल कराने के आरोप में पकड़ी गई थी। उस वक्त वह बीकानेर में कनिष्ठ सहायक के पद पर कार्यरत थी और तब से निलंबित चल रही है।

पौरव की साली प्रियंका गोस्वामी भी इस खेल का हिस्सा रही। वह जैसलमेर पुलिस लाइन में सब-इंस्पेक्टर (SI) के पद पर तैनात थी और SI भर्ती परीक्षा-2021 में 102वीं रैंक हासिल की थी। SOG को शक हुआ कि उसका सिलेक्शन भी लीक पेपर के जरिए हुआ था। 18 मार्च को पूछताछ के लिए बुलाए जाने के बाद से वह फरार है।

हर्षवर्धन मीणा: JEN भर्ती का सरगना

हर्षवर्धन मीणा जूनियर इंजीनियर (JEN) भर्ती परीक्षा-2020 के पेपर लीक का मास्टरमाइंड रहा। पटवारी के पद पर कार्यरत हर्षवर्धन को SOG की विशेष जांच टीम (SIT) ने फरवरी 2024 में नेपाल बॉर्डर के पास से गिरफ्तार किया था। उसकी पत्नी, जो खुद भी पटवारी थी, को पहले गिरफ्तार किया जा चुका है। हर्षवर्धन ने अपने रिश्तेदारों और ससुराल पक्ष के लोगों को भी नौकरी दिलाने में कामयाबी हासिल की। 22 मार्च 2025 को दौसा जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार ने उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया।

रोशन लाल मीणा और अन्य बड़े नाम

रोशन लाल मीणा भी पेपर लीक के इस नेटवर्क का अहम हिस्सा रहा। इन माफियाओं ने संगठित तरीके से नकल माफिया चलाया और अपने करीबियों को फायदा पहुंचाया। SOG ने अब तक 8 बड़े मास्टरमाइंड्स को चिह्नित किया है, जिनके खिलाफ कार्रवाई तेज कर दी गई है।

कैसे पकड़े गए ये माफिया?

SOG ने दिसंबर 2023 में एक विशेष जांच टीम (SIT) बनाई थी, जिसने पेपर लीक के मामलों की गहराई से जांच शुरू की। सूचना के आधार पर छापेमारी, तकनीकी सबूत और गवाहों के बयानों से इन माफियाओं का पर्दाफाश हुआ। हर्षवर्धन को नेपाल बॉर्डर से पकड़ा गया, जबकि पौरव कालेर के ठिकानों पर लगातार छापेमारी की गई। इनके रिश्तेदारों की संदिग्ध नियुक्तियों की जांच के बाद कईयों को निलंबित या बर्खास्त किया गया।

सरकार की सख्ती, भविष्य पर सवाल

राजस्थान सरकार ने पेपर लीक के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है। SOG के अतिरिक्त महानिदेशक वीके सिंह ने कहा कि ऐसे कर्मचारियों को बर्खास्त करने से माफियाओं का हौसला टूटेगा। लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई उन हजारों ईमानदार अभ्यर्थियों को न्याय दिला पाएगी, जिनका भविष्य इन माफियाओं ने छीन लिया?