पहलगाम आतंकी हमला: कश्मीर की वादियों में खौफ, पर्यटन उद्योग पर मंडराया संकट

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर - जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुआ आतंकी हमला न केवल एक त्रासदी है, बल्कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था और पर्यटन उद्योग के लिए एक बड़ा झटका है। इस हमले में 27 लोगों की जान गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। यह घटना इसलिए भी चौंकाने वाली है, क्योंकि जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमलों का लंबा इतिहास होने के बावजूद पर्यटक पहले कभी निशाना नहीं बने। कश्मीर की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर है, और इस हमले ने स्थानीय लोगों की आजीविका पर गहरी चोट पहुंचाई है।
हमले का भयावह मंजर
पहलगाम के बैसरन घाटी, जिसे 'मिनी स्विट्जरलैंड' के नाम से जाना जाता है, में मंगलवार दोपहर करीब 2:45 बजे आतंकियों ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू की। हथियारबंद आतंकी, जो कुछ सूत्रों के अनुसार सेना की वर्दी में थे, पर्यटकों पर हमला करने के लिए घास के मैदानों में घुस आए। इस हमले में 27 लोग मारे गए, जिनमें उत्तर प्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, ओडिशा के पर्यटक, एक यूएई और एक नेपाल का नागरिक शामिल थे। इसके अलावा, 20 से अधिक लोग घायल हुए, जिन्हें अनंतनाग के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया।
आतंकियों ने बर्बरता की सारी हदें पार कीं। पुलिस सूत्रों के अनुसार, उन्होंने पर्यटकों से उनका नाम और धर्म पूछा, और कुछ को 'कलमा' पढ़ने के लिए मजबूर किया। जो लोग इसे पढ़ नहीं सके, उन्हें गोली मार दी गई। इस हमले की जिम्मेदारी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकी संगठन 'द रेजिस्टेंस फ्रंट' (टीआरएफ) ने ली है।
पर्यटन उद्योग पर गहरा संकट
कश्मीर का पर्यटन उद्योग, जिसे 'धरती का स्वर्ग' कहा जाता है, सालाना 12,000 करोड़ रुपये का कारोबार करता है। 2024 में 2.36 करोड़ पर्यटक कश्मीर आए, जिनमें 65,000 विदेशी सैलानी शामिल थे। यह उद्योग 2.5 लाख से अधिक लोगों को रोजगार देता है, जिसमें होटल कर्मचारी, शिकारा चालक, टैक्सी ड्राइवर, गाइड और छोटे दुकानदार शामिल हैं। अनुमान है कि 2030 तक यह उद्योग 25,000-30,000 करोड़ रुपये तक पहुंच सकता था, लेकिन इस हमले ने इन उम्मीदों पर पानी फेर दिया।
हमले के बाद पर्यटकों में डर का माहौल है। खासकर पश्चिम बंगाल, बिहार और पूर्वी भारत के पर्यटकों ने अपनी बुकिंग रद्द कर दी हैं। ट्रैवल एजेंट्स का अनुमान है कि इस हमले के बाद 30% तक पर्यटक यात्राएं रद्द हो सकती हैं। गोवा के 50 से अधिक पर्यटक श्रीनगर के होटलों में फंसे हुए हैं, और टूर ऑपरेटर उन्हें वापस लाने की कोशिश कर रहे हैं। डल झील की 1,500 से अधिक हाउसबोट्स और 3,000 से ज्यादा होटल कमरों पर अब खाली रहने का खतरा मंडरा रहा है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि पर्यटन उनकी आजीविका का आधार है, और आतंकियों की इस हरकत ने न केवल उनकी रोजी-रोटी छीनी, बल्कि कश्मीरियत की भावना को भी ठेस पहुंचाई। एक शिकारा चालक ने कहा, "हमें शर्मिंदगी महसूस हो रही है। पर्यटक हमारे मेहमान हैं, और उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी थी।"
आतंकियों का बदला हुआ पैटर्न
यह हमला कई मायनों में असामान्य है। कश्मीर में आतंकी पहले मुख्य रूप से सुरक्षाबलों को निशाना बनाते थे, क्योंकि वे जानते थे कि पर्यटकों पर हमला स्थानीय अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचाएगा। लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) हिमालय सिंह के अनुसार, पर्यटकों पर हमले 25-30 साल बाद फिर से शुरू हुए हैं। 1990 के दशक में ऐसी घटनाएं हुई थीं, लेकिन हाल के दशकों में पर्यटक सुरक्षित रहे।
खुफिया सूत्रों का मानना है कि इस हमले के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और टीआरएफ का हाथ हो सकता है। हमले का मास्टरमाइंड लश्कर-ए-तैयबा का डिप्टी चीफ सैफुल्लाह खालिद बताया जा रहा है, जो पाकिस्तान में मौजूद है। संदिग्ध आतंकियों के नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए हैं। यह हमला अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस की भारत यात्रा और पीएम मोदी की सऊदी अरब यात्रा के दौरान हुआ, जिसे वैश्विक ध्यान आकर्षित करने की साजिश माना जा रहा है।
सुरक्षा बलों का जवाब और सरकारी प्रतिक्रिया
हमले के बाद सुरक्षाबलों ने पहलगाम के दुर्गम पहाड़ी इलाकों में बड़ा सर्च ऑपरेशन शुरू किया है, जिसमें हेलीकॉप्टर और उन्नत तकनीक का इस्तेमाल हो रहा है। सेना, सीआरपीएफ और जम्मू-कश्मीर पुलिस संयुक्त रूप से आतंकियों की तलाश कर रही है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) भी जांच के लिए पहलगाम पहुंच चुकी है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा, "हमलावरों को बख्शा नहीं जाएगा।" उन्होंने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली लौटते ही कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक बुलाई। गृह मंत्री अमित शाह श्रीनगर पहुंचकर उच्च स्तरीय सुरक्षा समीक्षा बैठक की। जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे "हाल के वर्षों में आम लोगों पर सबसे बड़ा हमला" करार दिया।
विश्व नेताओं ने भी इस हमले की निंदा की। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर, और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भारत के प्रति एकजुटता जताई।
कश्मीरियत पर हमला
यह हमला न केवल पर्यटकों पर, बल्कि कश्मीर की आत्मा और संस्कृति पर भी हमला है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने इसे देश की एकता और अखंडता पर प्रहार बताया। पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद ने कहा, "पाकिस्तान और उसके आतंकी कश्मीरियों की रोजी-रोटी छीन रहे हैं।"
स्थानीय लोग इस घटना से आहत हैं और विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की नेता महबूबा मुफ्ती ने इसे "कश्मीरियत पर हमला" करार दिया। जम्मू चैंबर ऑफ कॉमर्स ने हमले के विरोध में बंद बुलाया।