पहलगाम अटैक का असर: शैतान सिंह की बारात बॉर्डर पर रोकी, बाड़मेर से पाकिस्तान तक रिश्तों पर संकट
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने न केवल भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ाया है, बल्कि सीमा पार रिश्तों को भी गहरे संकट में डाल दिया है। राजस्थान के बाड़मेर जिले के इंद्रोई गांव के शैतान सिंह (25) की शादी, जो 30 अप्रैल को पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अमरकोट में होनी थी

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले ने न केवल भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव को बढ़ाया है, बल्कि सीमा पार रिश्तों को भी गहरे संकट में डाल दिया है। राजस्थान के बाड़मेर जिले के इंद्रोई गांव के शैतान सिंह (25) की शादी, जो 30 अप्रैल को पाकिस्तान के सिंध प्रांत के अमरकोट में होनी थी, अब अनिश्चितकाल के लिए टल गई है। हमले के बाद भारत सरकार ने अटारी-वाघा बॉर्डर को बंद कर दिया, जिसके चलते शैतान सिंह की बारात 24 अप्रैल को बॉर्डर से बैरंग लौट आई।
शादी की तैयारियां अधूरी, वीजा मिला पर बॉर्डर बंद
शैतान सिंह, जो एक फाइनेंस कंपनी में काम करते हैं, और उनके परिवार ने इस शादी के लिए चार साल तक इंतजार किया। उनकी सगाई 2021 में पाकिस्तान के अमरकोट की केसर कंवर (21) से पारंपरिक रीति-रिवाजों के साथ हुई थी। वीजा पाने के लिए तीन साल तक लगातार प्रयास किए गए, और आखिरकार 18 फरवरी 2025 को वीजा मंजूर हुआ, जो 12 मई तक वैध है। लेकिन पहलगाम हमले के बाद अटारी बॉर्डर बंद होने से उनकी सारी उम्मीदें धराशायी हो गईं। शैतान सिंह ने कहा, "लंबे इंतजार के बाद वीजा मिला था, लेकिन अब सब अधर में लटक गया है। आतंकवादियों ने जो किया, वह गलत है। सरकार का बॉर्डर बंद करने का फैसला सही है, पर मेरी शादी अब रुक गई।"
सीमा पार रिश्तों की परंपरा पर संकट
बाड़मेर के इंद्रोई गांव, किराडू से 10 किलोमीटर और बाड़मेर शहर से 40 किलोमीटर दूर, उन क्षेत्रों में से एक है जहां भारत और पाकिस्तान के बीच शादी-संबंधों की लंबी परंपरा रही है। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में सोढ़ा राजपूतों की बड़ी आबादी गोत्र परंपरा को मानती है और अपने समुदाय से बाहर शादी करने के लिए भारत के राजपूत युवाओं को प्राथमिकता देती है। शैतान सिंह के चचेरे भाई सुरेंद्र सिंह (27) ने बताया, "हमारे परिवार के कई रिश्तेदार पाकिस्तान में हैं। हमारी दादी और उनके चार बेटे सिंध के कपासकोट में रहते हैं, जबकि एक बेटा और बेटी बाड़मेर में। इस हमले ने हमारे रिश्तों पर गहरा असर डाला है।"
आतंकवाद की सजा रिश्तों को
पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई, जिसमें दो विदेशी नागरिक भी शामिल थे। आतंकियों ने पर्यटकों से उनका नाम और धर्म पूछकर गोलीबारी की, जिसे लश्कर-ए-तैयबा के छद्म संगठन द रजिस्टेंट फ्रंट ने अंजाम दिया। इस हमले के बाद भारत ने कड़े कदम उठाए, जिनमें सिंधु जल संधि को निलंबित करना, अटारी बॉर्डर बंद करना, और पाकिस्तानी नागरिकों के वीजा रद्द करना शामिल है।
शैतान सिंह के परिवार का कहना है कि आतंकवाद की इस घटना ने न केवल उनकी शादी को प्रभावित किया, बल्कि सीमा पार रिश्तों को भी तोड़ने का काम किया। सुरेंद्र सिंह ने कहा, "आतंकवाद गलत है। सैलानियों पर हमला निंदनीय है। ऐसी घटनाएं रिश्तों को खराब करती हैं और बॉर्डर पर आवाजाही बंद कर देती हैं। मेरे भाई की शादी अब टल जाएगी। आतंकियों की गलती की सजा हमें भुगतनी पड़ रही है।"
परिवार की उम्मीदें और अनिश्चित भविष्य
शैतान सिंह के पिता हेम सिंह, जो खेतीबाड़ी करते हैं, और उनका परिवार अब हालात सामान्य होने की उम्मीद में है। परिवार ने शादी की तैयारियों में कोई कसर नहीं छोड़ी थी, लेकिन अब उन्हें इंतजार करना पड़ रहा है। शैतान सिंह ने कहा, "हम उम्मीद कर रहे हैं कि हालात जल्द ठीक होंगे, ताकि हम शादी धूमधाम से कर सकें। लेकिन अभी कुछ समझ नहीं आ रहा कि आगे क्या होगा।"
भारत-पाक तनाव का असर
पहलगाम हमले के बाद भारत ने न केवल अटारी बॉर्डर बंद किया, बल्कि पाकिस्तानी राजनयिकों को 48 घंटे में भारत छोड़ने का आदेश दिया और नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायोग को बंद करने की प्रक्रिया शुरू की। इसके जवाब में पाकिस्तान ने भी वाघा सीमा बंद करने और मिसाइल टेस्ट की घोषणा की, जिससे दोनों देशों के बीच तनाव और बढ़ गया है।
इन कदमों का असर उन परिवारों पर पड़ रहा है, जो सीमा के दोनों तरफ रिश्तों के बंधन में बंधे हैं। बाड़मेर और सिंध के बीच शादी-संबंधों की परंपरा अब आतंकवाद और तनाव की भेंट चढ़ रही है। शैतान सिंह और केसर कंवर जैसे कई जोड़े अनिश्चितता के साये में अपनी नई जिंदगी शुरू करने का इंतजार कर रहे हैं।
निष्कर्ष: पहलगाम आतंकी हमला केवल एक सुरक्षा चुनौती नहीं है, बल्कि यह उन रिश्तों को भी प्रभावित कर रहा है जो भारत और पाकिस्तान के बीच इंसानियत का पुल बनाते हैं। शैतान सिंह की कहानी उन हजारों परिवारों की पीड़ा को दर्शाती है, जो आतंकवाद की वजह से अपने सपनों को टलते देख रहे हैं।