पीएम मोदी का रिटायरमेंट: संघ की खोज या नियमों का खेल?

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में बीजेपी और भारतीय राजनीति एक बार फिर सवालों के घेरे में है। क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) उनके उत्तराधिकारी की तलाश में जुटा है? या फिर 75 साल की उम्र का अघोषित रिटायरमेंट नियम टूटने जा रहा है?

पीएम मोदी का रिटायरमेंट: संघ की खोज या नियमों का खेल?

नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और देश की सियासत एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है। बीजेपी में 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट का अघोषित नियम और पीएम मोदी के भविष्य को लेकर उठे सवालों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है। क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) उनके उत्तराधिकारी की तलाश कर रहा है? या फिर मोदी इस बैरियर को तोड़कर 2029 तक देश का नेतृत्व करते रहेंगे? आइए, इस पूरे मामले को विस्तार से समझते हैं।सवाल-1: पीएम मोदी के रिटायरमेंट का मुद्दा कहां से उठा?

इस चर्चा की शुरुआत 30 मार्च 2025 को हुई, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नागपुर स्थित आरएसएस मुख्यालय पहुंचे। वहां उनकी मुलाकात संघ प्रमुख मोहन भागवत से हुई। इस दौरे को लेकर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के नेता संजय राउत ने एक सनसनीखेज बयान दिया। राउत ने दावा किया कि पीएम मोदी इस साल सितंबर में 75 साल के हो जाएंगे और वह अपने रिटायरमेंट की योजना पर चर्चा करने के लिए संघ मुख्यालय गए थे। उनके मुताबिक, बीजेपी में 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट की अघोषित परंपरा रही है, जिसके तहत कई बड़े नेता पहले हाशिए पर डाल दिए गए। राउत ने यह भी कहा कि मोदी का उत्तराधिकारी महाराष्ट्र से हो सकता है और इसका फैसला आरएसएस करेगा।

इस बयान के जवाब में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने 31 मार्च को तीखा पलटवार किया। फडणवीस ने कहा, "पीएम मोदी के उत्तराधिकारी की तलाश की कोई जरूरत नहीं है। वह हमारे नेता हैं और 2029 में भी हम उन्हें फिर से प्रधानमंत्री के रूप में देखेंगे। हमारी संस्कृति में जब पिता जीवित हों, तो उत्तराधिकार की बात करना अनुचित है। यह मुगल संस्कृति है, और अभी इस पर चर्चा का समय नहीं आया।" फडणवीस ने साफ कर दिया कि मोदी का नेतृत्व लंबे समय तक जारी रहेगा।

इसके बाद 8 अप्रैल को फडणवीस ने एक बार फिर इस मुद्दे पर अपनी बात दोहराई। उन्होंने कहा, "पीएम मोदी के उत्तराधिकारी चुनने का यह सही समय नहीं है, क्योंकि 2029 में वो फिर से प्रधानमंत्री बनने वाले हैं।" फडणवीस का यह बयान बीजेपी के भीतर और बाहर चल रही अटकलों को शांत करने की कोशिश के तौर पर देखा जा रहा है।

बयानों का सिलसिला: राउत बनाम फडणवीस

संजय राउत (30 मार्च 2025 के बाद): "पीएम मोदी सितंबर में रिटायरमेंट का आवेदन लिखने के लिए शायद आरएसएस मुख्यालय गए थे। पिछले 10-11 साल में वो वहां नहीं गए, लेकिन अब मोहन भागवत को यह संदेश देने गए कि 'मैं जा रहा हूं।' संघ परिवार देश के नेतृत्व में बदलाव चाहता है और मोदी का समय खत्म हो गया है। उनका उत्तराधिकारी महाराष्ट्र से होगा।"

देवेंद्र फडणवीस (31 मार्च 2025): "2029 में भी हम मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखेंगे। उनके उत्तराधिकारी की खोज की कोई जरूरत नहीं। वह हमारे नेता हैं और बने रहेंगे। हमारी संस्कृति में पिता के जीवित रहते उत्तराधिकार की बात नहीं होती, यह मुगल परंपरा है।"

फडणवीस (8 अप्रैल 2025): "मोदी के उत्तराधिकारी चुनने का सही समय नहीं है। 2029 में वो फिर से पीएम बनेंगे।"

बैकग्राउंड: 75 साल का नियम और बीजेपी का इतिहास

बीजेपी में 75 साल की उम्र में रिटायरमेंट की बात कोई नई नहीं है। इस अघोषित नियम के तहत लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और सुमित्रा महाजन जैसे दिग्गज नेताओं को सक्रिय राजनीति से हटना पड़ा था। आडवाणी को 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले मार्गदर्शक मंडल में भेज दिया गया, जबकि जोशी को 2019 में टिकट नहीं दिया गया। यह परंपरा बीजेपी के संगठनात्मक ढांचे का हिस्सा मानी जाती है, जिसे आरएसएस का भी समर्थन प्राप्त है। हालांकि, इस नियम को औपचारिक रूप से पार्टी संविधान में दर्ज नहीं किया गया है।

नरेंद्र मोदी 17 सितंबर 2025 को 75 साल के हो जाएंगे। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या यह नियम उनके लिए भी लागू होगा? विपक्षी नेता, खासकर संजय राउत और पहले अरविंद केजरीवाल, इस मुद्दे को बार-बार उठाते रहे हैं। लेकिन बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व, जिसमें अमित शाह शामिल हैं, ने साफ किया है कि मोदी के लिए कोई उम्र की सीमा लागू नहीं होगी। शाह ने 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान कहा था, "मोदी 75 साल के हों, तो भी उन्हें हटाने की जरूरत नहीं। यह बीजेपी के संविधान में कहीं नहीं लिखा।"

क्यों जरूरी है मोदी का बने रहना?

बीजेपी के लिए नरेंद्र मोदी सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि एक ब्रांड हैं। उनकी लोकप्रियता, करिश्माई छवि और जनता से सीधा जुड़ाव पार्टी की सफलता का आधार रहा है। 2014, 2019 और 2024 के लोकसभा चुनावों में उनकी अगुआई में बीजेपी ने शानदार प्रदर्शन किया। ऐसे में उनके नेतृत्व को हटाना पार्टी के लिए जोखिम भरा हो सकता है। फडणवीस का बार-बार यह कहना कि "मोदी 2029 में भी पीएम बनेंगे," इस बात का संकेत है कि बीजेपी उनके बिना अगला कदम सोच भी नहीं रही।

क्या कहता है आरएसएस?

आरएसएस के वरिष्ठ नेता सुरेश भैयाजी जोशी ने संजय राउत के दावों को खारिज करते हुए कहा, "मुझे पीएम के रिटायरमेंट या उत्तराधिकारी को लेकर किसी चर्चा की जानकारी नहीं है।" संघ ने हमेशा बीजेपी के फैसलों में पर्दे के पीछे से भूमिका निभाई है, लेकिन मोदी के मामले में उसका रुख साफ नहीं दिखता। कुछ विश्लेषकों का मानना है कि संघ बदलाव चाह सकता है, लेकिन अभी ऐसा कोई ठोस संकेत नहीं मिला।

निष्कर्ष: नियम टूटेगा या बनेगा नया इतिहास?

फिलहाल, पीएम मोदी के रिटायरमेंट की चर्चा सिर्फ अटकलों पर आधारित है। संजय राउत के बयान ने इस बहस को हवा दी, लेकिन फडणवीस और बीजेपी का रुख साफ है कि मोदी लंबे समय तक नेतृत्व में रहेंगे। अगर मोदी 75 साल के बाद भी पीएम बने रहते हैं, तो यह बीजेपी के इतिहास में एक नया अध्याय होगा। दूसरी ओर, अगर वह रिटायर होते हैं, तो उत्तराधिकारी की खोज में आरएसएस और बीजेपी की भूमिका अहम होगी। यह सियासी ड्रामा अभी जारी है, और इसका जवाब समय ही देगा।