राजस्थान में अब मोबाइल ऐप से होगी IAS से लेकर कर्मचारियों की हाजिरी: समय की सख्त निगरानी का प्रस्ताव
अब प्रदेश के IAS अधिकारियों से लेकर सभी सरकारी कर्मचारियों की अटेंडेंस मोबाइल ऐप के जरिए दर्ज होगी। इस नई व्यवस्था में न केवल उपस्थिति, बल्कि ऑफिस आने और जाने के समय की भी सख्त मॉनिटरिंग की जाएगी।

जयपुर: राजस्थान में प्रशासनिक कामकाज को और पारदर्शी व जवाबदेह बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया जा रहा है। अब प्रदेश के IAS अधिकारियों से लेकर सभी सरकारी कर्मचारियों की अटेंडेंस मोबाइल ऐप के जरिए दर्ज होगी। इस नई व्यवस्था में न केवल उपस्थिति, बल्कि ऑफिस आने और जाने के समय की भी सख्त मॉनिटरिंग की जाएगी। प्रशासनिक सुधार विभाग ने इस प्रस्ताव को तैयार कर मुख्यमंत्री के अनुमोदन के लिए भेज दिया है। यदि यह प्रस्ताव लागू हो जाता है, तो IAS अधिकारियों सहित सभी कर्मचारियों के लिए मोबाइल ऐप पर हाजिरी लगाना अनिवार्य हो जाएगा।
क्या है नई व्यवस्था?
प्रस्ताव के अनुसार, सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को सुबह 9:30 बजे से शाम 5:30 बजे तक कार्यालय में मौजूद रहना होगा। इस दौरान उनकी उपस्थिति मोबाइल ऐप के माध्यम से ट्रैक की जाएगी। यह सिस्टम समय के पालन को सुनिश्चित करने के साथ-साथ कार्यालयों में अनुशासन और कार्यकुशलता बढ़ाने में मदद करेगा। अभी तक प्रदेश में यह व्यवस्था आंशिक रूप से लागू थी, लेकिन अब इसे पूरे राज्य में विस्तार देने की योजना है।
कहां लागू है अभी यह सिस्टम?
वर्तमान में राजस्थान की बिजली कंपनियों, नगर निगम, जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) और पशुपालन विभाग में अधिकारी और कर्मचारी ऑनलाइन अटेंडेंस सिस्टम का उपयोग कर रहे हैं। इन विभागों में यह प्रयोग सफल रहा है, जिसके बाद प्रशासनिक सुधार विभाग ने इसे全省 स्तर पर लागू करने का फैसला किया है।
क्यों जरूरी है यह कदम?
सरकारी कार्यालयों में समय की पाबंदी और कर्मचारियों की जवाबदेही सुनिश्चित करना लंबे समय से एक चुनौती रहा है। कई बार अधिकारियों और कर्मचारियों के देर से आने या जल्दी जाने की शिकायतें सामने आती रही हैं। मोबाइल ऐप आधारित अटेंडेंस सिस्टम से इन समस्याओं पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी। साथ ही, डिजिटल निगरानी से डेटा संग्रहण और विश्लेषण भी आसान होगा, जिससे कार्यप्रणाली में सुधार संभव हो सकेगा।
IAS अधिकारियों पर भी लागू होगा नियम
खास बात यह है कि इस व्यवस्था से IAS जैसे वरिष्ठ अधिकारी भी अछूते नहीं रहेंगे। अभी तक कई बार वरिष्ठ अधिकारियों के लिए नियमों में ढील की बात सामने आती रही है, लेकिन अब प्रस्तावित सिस्टम में सभी के लिए एक समान नियम लागू होंगे। यह कदम नौकरशाही में पारदर्शिता और अनुशासन को बढ़ावा देने की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
आगे की राह
प्रस्ताव को अभी मुख्यमंत्री की मंजूरी का इंतजार है। मंजूरी मिलते ही इस व्यवस्था को लागू करने के लिए तकनीकी और प्रशासनिक तैयारियां शुरू कर दी जाएंगी। विशेषज्ञों का मानना है कि यह सिस्टम न केवल समय की पाबंदी सुनिश्चित करेगा, बल्कि सरकारी कामकाज में जनता का भरोसा भी बढ़ाएगा।
इस पहल से राजस्थान डिजिटल प्रशासन की दिशा में एक और कदम आगे बढ़ता नजर आ रहा है। अब देखना यह है कि यह प्रस्ताव कब तक धरातल पर उतरता है और इसका असर सरकारी कार्यप्रणाली पर कितना प्रभावी साबित होता है।