राजस्थान में ERCP-PKC और पेयजल संकट पर गहलोत-राजे आमने-सामने: राजनीतिक ईमानदारी से लेकर छुआछूत तक छिड़ी बहस

राजस्थान की सियासत में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे के बीच पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ERCP) और पार्वती-कालीसिंध-चंबल (PKC) प्रोजेक्ट को लेकर तीखी तकरार देखने को मिल रही है। जयपुर में महात्मा ज्योतिबा फुले जयंती के मौके पर गहलोत ने राजे पर निशाना साधते हुए कई गंभीर सवाल उठाए। दूसरी ओर, राजे ने झालावाड़ में पेयजल संकट को लेकर अधिकारियों को फटकार लगाकर अपनी सक्रियता दिखाई। इस बीच, गहलोत ने छुआछूत और RSS की भूमिका पर भी तल्ख टिप्पणियां कीं। आइए, इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं।
1. ERCP-PKC पर गहलोत का राजे पर हमला: "राजनीतिक ईमानदारी दिखाएं"
जयपुर में 22 गोदाम स्थित महात्मा ज्योतिबा फुले की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करने के बाद गहलोत ने प्रेस से बातचीत में वसुंधरा राजे को खुली चुनौती दी। उन्होंने कहा कि राजे दो बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं और उन्होंने ERCP और PKC प्रोजेक्ट्स का गहन अध्ययन किया है। गहलोत ने इन परियोजनाओं को "बकवास" करार देते हुए सवाल उठाया कि अगर राजे में राजनीतिक ईमानदारी है, तो वे प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर स्पष्ट करें कि क्या नया PKC समझौता प्रभावी है या उनके समय की ERCP बेहतर थी।
गहलोत ने राजे पर केवल अपने गृह जिले झालावाड़ तक सीमित रहने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, "वसुंधरा जी को पूरे राजस्थान के हितों की बात करनी चाहिए, न कि सिर्फ झालावाड़ की। हमने अपनी सरकार में उनके प्रस्ताव को बिना छेड़छाड़ के आगे बढ़ाया।" गहलोत ने यह भी दावा किया कि राजे ने खुद कहा है कि अगले 9 साल तक इन परियोजनाओं से कुछ हासिल नहीं होगा, फिर "जनता को बेवकूफ क्यों बनाया जा रहा है?"
2. झालावाड़ में राजे की फटकार: "अफसर सो रहे हैं, जनता प्यासी है"
वसुंधरा राजे ने मंगलवार को झालावाड़ के रायपुर में पेयजल संकट की शिकायतों पर जल जीवन मिशन और जलदाय विभाग के अधिकारियों को जमकर लताड़ा। उन्होंने सख्त लहजे में पूछा, "क्या प्यास सिर्फ अफसरों को लगती है? जनता को नहीं?" राजे ने केंद्र सरकार के जल जीवन मिशन के तहत राजस्थान को मिले 42 हजार करोड़ रुपये का जिक्र करते हुए अधिकारियों से पूछा कि झालावाड़ के हिस्से की राशि का क्या किया गया।
उन्होंने चेतावनी दी कि योजनाओं का सही क्रियान्वयन न होने से राजस्थान के लोग प्यास से त्रस्त हैं। राजे ने कहा, "यह अप्रैल का हाल है, जून-जुलाई में क्या होगा?" इस दौरे में उनके बेटे और झालावाड़-बारां सांसद दुष्यंत सिंह भी साथ थे। राजे ने कड़ोदिया और मथानिया में स्वास्थ्य केंद्रों का उद्घाटन भी किया, जिससे उनकी स्थानीय स्तर पर सक्रियता जाहिर होती है।
3. गहलोत की तीन बड़ी बातें: छुआछूत, RSS और सामाजिक न्याय
गहलोत ने जयपुर में अपने बयान में न केवल राजे और ERCP-PKC को निशाने पर लिया, बल्कि सामाजिक मुद्दों पर भी खुलकर बोले। उनकी तीन प्रमुख टिप्पणियां इस प्रकार हैं:
छुआछूत पर सख्त रुख: अलवर के राम मंदिर में ज्ञानदेव अहूजा द्वारा गंगाजल छिड़कने की घटना पर गहलोत ने कहा कि 21वीं सदी में छुआछूत मानवता पर कलंक है। उन्होंने इसकी निंदा करते हुए RSS से अपील की कि वह इस प्रथा के खिलाफ देशव्यापी अभियान चलाए। गहलोत ने कहा, "पूरा देश BJP की विचारधारा से तंग है। हम छुआछूत को खत्म करके रहेंगे।"
RSS और मोहन भागवत पर सवाल: गहलोत ने RSS प्रमुख मोहन भागवत को आड़े हाथों लेते हुए पूछा कि अगर दलित, आदिवासी और ट्राइबल सभी हिंदू हैं, तो छुआछूत की जिम्मेदारी किसकी है? उन्होंने कहा कि BJP को RSS का समर्थन प्राप्त है, फिर भी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाया जा रहा? गहलोत ने RSS से सब काम छोड़कर छुआछूत मिटाने का आह्वान करने को कहा।
राजे से व्यापक दृष्टिकोण की अपेक्षा: गहलोत ने दोहराया कि राजे को केवल झालावाड़ नहीं, बल्कि पूरे राजस्थान के लिए ERCP और PKC की सच्चाई जनता के सामने रखनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि उनकी सरकार ने इन परियोजनाओं को गति दी, लेकिन नए समझौते में पारदर्शिता की कमी है।
पृष्ठभूमि: ERCP और PKC का विवाद
ERCP की शुरुआत वसुंधरा राजे के कार्यकाल में हुई थी, जिसका मकसद राजस्थान के 13 जिलों में पेयजल और सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना था। बाद में इसे PKC के साथ जोड़ा गया, जिससे राजस्थान और मध्य प्रदेश के 21 जिलों को लाभ होने की बात कही गई। गहलोत ने अपनी सरकार के दौरान इस प्रोजेक्ट को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने की कोशिश की, लेकिन सफलता नहीं मिली। अब नए MoU और BJP सरकार के दावों पर गहलोत ने सवाल उठाए हैं, जबकि राजे का फोकस स्थानीय स्तर पर पेयजल संकट को उजागर करने पर है।
राजनीतिक निहितार्थ
गहलोत का यह बयान न केवल राजे पर व्यक्तिगत हमला है, बल्कि BJP और RSS की विचारधारा को भी निशाने पर लेता है। दूसरी ओर, राजे की झालावाड़ में सक्रियता और अधिकारियों को फटकार उनके क्षेत्र में प्रभाव को बनाए रखने की कोशिश दिखाती है। दोनों नेताओं के बीच यह तकरार राजस्थान की सियासत में पानी और सामाजिक न्याय जैसे मुद्दों को और गर्माने की संभावना रखती है।