Rajasthan Politics : राजस्थान में अशोक गहलोत की सियासी वापसी की आहट

राजस्थान की सियासी गलियारों में इन दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी की उठापटक जोरों पर है। जहां गोविंद सिंह डोटासरा, टीकाराम जूली और सचिन पायलट लगातार चर्चा में हैं, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सियासी निष्क्रियता भी सुर्खियों में है। लोकसभा चुनावों के बाद से गहलोत सियासी पटल से दूर हैं और इसकी वजह उनकी स्लिप डिस्क की बीमारी बताई जा रही है।

Rajasthan Politics : राजस्थान में अशोक गहलोत की सियासी वापसी की आहट
Rajasthan Politics : राजस्थान में अशोक गहलोत की सियासी वापसी की आहट

The Khatak , जयपुर : राजस्थान की सियासी गलियारों में इन दिनों मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा के साथ-साथ कांग्रेस पार्टी की उठापटक जोरों पर है। जहां गोविंद सिंह डोटासरा, टीकाराम जूली और सचिन पायलट लगातार चर्चा में हैं, वहीं पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सियासी निष्क्रियता भी सुर्खियों में है। लोकसभा चुनावों के बाद से गहलोत सियासी पटल से दूर हैं और इसकी वजह उनकी स्लिप डिस्क की बीमारी बताई जा रही है।

हालांकि, अशोक गहलोत 24 घंटे, 7 दिन सियासत करने वाले नेता माने जाते हैं। उनकी निष्क्रियता से सियासी चर्चाओं को जन्म मिला है। हाल ही में कांग्रेस में हुई नियुक्तियों के बाद फिर से गहलोत की चर्चा सियासी गलियारों में सुनाई दे रही है।

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कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल ने राजस्थान कांग्रेस में हाल ही में दो अहम नियुक्तियां की हैं। जयपुर की आदर्श नगर विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक बने रफीक खान को पार्टी का चीफ व्हिप और गंगापुर सिटी से विधायक रामकेश मीणा को विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष बनाया गया है। रामकेश मीणा पिछले चुनाव में गंगापुर से निर्दलीय चुनाव जीते थे और सरकार का समर्थन देने पर उन्हें मुख्यमंत्री सलाहकार बनाया गया था। पिछली बार जब कांग्रेस 2013 से 2028 में विपक्ष में थी तब रमेश मीणा उपनेता प्रतिपक्ष थे और उस समय सचिन पायलट प्रदेशाध्यक्ष और रामेश्वर डूडी नेता प्रतिपक्ष थे।

गहलोत गुट की मजबूत पकड़

रफीक खान और रामकेश मीणा दोनों ही अशोक गहलोत गुट के माने जाते हैं। 2020 में सचिन पायलट की कथित बगावत के समय रफीक खान ने गहलोत के पक्ष में सियासी जाजम बिछाई थी। रामकेश मीणा भी पायलट के खिलाफ बोलते रहे हैं। 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में रामकेश मीणा का टिकट कट गया था, जिसका कारण पायलट को माना गया था। वर्तमान में गोविंद सिंह डोटासरा प्रदेशाध्यक्ष और टीकाराम जूली नेता प्रतिपक्ष हैं, जिनकी नियुक्ति में भी गहलोत का इशारा माना गया था।

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कोर वोट बैंक को साधने की रणनीति

कांग्रेस ने हाल में हुई दोनों नियुक्तियों से अपने कोर वोट बैंक को साधने की कोशिश की है। नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली दलित, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा जाट, उपनेता प्रतिपक्ष रामकेश मीणा एसटी और सचेतक अल्पसंख्यक वर्ग से हैं। ये चारों कांग्रेस के कोर वोट बैंक हैं। इस साल के आखिर में पांच विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने हैं, जिनमें तीन सीटों (दौसा, खींवसर और चौरासी) पर आदिवासी वोटर्स की अच्छी संख्या है और दो अन्य सीटों (खींवसर और झुंझुनू) में मुस्लिम मतदाता काफी हैं। इन नियुक्तियों को उपचुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है।