रेगिस्तानी मिट्टी की मोहब्बत: प्रह्लाद सिंह भाटी ने मायरा भरकर रचा भाईचारे का इतिहास
जैसलमेर के झिनझिनयाली क्षेत्र के समाजसेवी प्रह्लाद सिंह भाटी ने मेघवाल समाज की बेटी के विवाह में मायरा भरकर भाईचारे और मानवता की मिसाल पेश की। गुहड़ा गांव में गाजी राम मेघवाल की बेटी के विवाह में भाटी ने सोने-चांदी के जेवर, गृहस्थी का सामान और अन्य जरूरी सामग्री भेंट की।

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर - जैसलमेर, 21 अप्रैल 2025: रेगिस्तान की तपती रेत और कठोर जीवन के बीच इंसानियत की ऐसी मिसालें सामने आती हैं, जो दिलों को छू लेती हैं। झिनझिनयाली क्षेत्र के समाजसेवी और भामाशाह प्रह्लाद सिंह भाटी ने मेघवाल समाज की बेटी के विवाह में मायरा भरकर न केवल एक परंपरा को जीवंत किया, बल्कि भाईचारे, मानवता और आपसी सौहार्द का ऐसा संदेश दिया, जो रेगिस्तान की मिट्टी की खुशबू की तरह हर ओर फैल गया।
मायरा: रिश्तों की गर्माहट का प्रतीक
गुहड़ा गांव निवासी गाजी राम पुत्र भूरा राम मेघवाल की सुपुत्री के विवाह समारोह में प्रह्लाद सिंह भाटी ने भावनात्मक जुड़ाव के साथ मायरा भरा। इस मायरे में उन्होंने सोने-चांदी के जेवर, गृहस्थी का संपूर्ण सामान और अन्य जरूरी सामग्री भेंट की। यह मायरा केवल सामग्री का दान नहीं था, बल्कि एक ऐसा उपहार था, जिसने मेघवाल परिवार को सम्मान और आत्मीयता का एहसास कराया। भाटी का यह कार्य रेगिस्तानी संस्कृति का वह रंग दर्शाता है, जहां रिश्ते खून से नहीं, बल्कि दिलों की गहराई से बनते हैं।
रेगिस्तान की परंपरा: मायरा और मोहब्बत
रेगिस्तानी समाज में मायरा केवल एक रस्म नहीं, बल्कि कमजोर वर्गों को सहारा देने और दिलों को जोड़ने का एक मजबूत जरिया है। प्रह्लाद सिंह भाटी ने इस परंपरा को नए आयाम दिए। उनके इस योगदान ने यह साबित किया कि रेगिस्तान की तपती हवाओं में भी इंसानियत और भाईचारे का ठंडा झोंका मौजूद है। यह आयोजन उस मिट्टी की मोहब्बत का प्रतीक बना, जो हर इंसान को अपनेपन से जोड़ती है।
भाईचारे की महफिल: समाज का एकजुट होना
इस विवाह समारोह में झिनझिनयाली और आसपास के क्षेत्रों से राजपूत समाज के गणमान्य लोग और छत्तीस कौम के प्रमुख व्यक्तित्व शामिल हुए। गायड सिंह, केशर सिंह भाटी, दिलीप सिंह, शंभू सिंह, जनक सिंह, अनवर सिंह, हाकम सिंह और बीरबल राम जैसे लोगों की उपस्थिति ने इस आयोजन की शोभा बढ़ाई। यह सामूहिक उपस्थिति रेगिस्तानी संस्कृति की उस खूबी को दर्शाती है, जहां हर जाति और समुदाय का बराबर सम्मान होता है। यह एकता न केवल समारोह को यादगार बनाती है, बल्कि समाज में आपसी सौहार्द का संदेश भी देती है।
ग्रामीणों का आभार, भाटी की सराहना
गुहड़ा गांव के ग्रामीणों ने प्रह्लाद सिंह भाटी की इस पहल को दिल से सराहा और इसे भाईचारे का प्रतीक बताया। मेघवाल परिवार ने अपने मेहमानों का गर्मजोशी से स्वागत किया और भाटी के प्रति आभार व्यक्त किया। परिवार ने कहा कि यह मायरा उनके लिए केवल सामग्री का सहयोग नहीं, बल्कि सम्मान और अपनेपन का एहसास है।
रेगिस्तान का संदेश: मानवता और परंपरा का संगम
यह आयोजन केवल एक विवाह समारोह नहीं था, बल्कि रेगिस्तानी संस्कृति का वह जीवंत दस्तावेज था, जिसमें परंपराओं और भावनाओं का अनूठा संगम देखने को मिला। प्रह्लाद सिंह भाटी ने अपने इस कार्य से सिद्ध कर दिया कि जब सक्षम लोग जरूरतमंदों के लिए आगे आते हैं, तो समाज में आत्मीयता और सहयोग की नई मिसालें कायम होती हैं।
काव्यात्मक अंदाज में रेगिस्तान की भावना
रेत की तपिश में भी जो दिल सर्द रखते हैं,
इंसानियत की खुशबू से जो घर भरते हैं।
भाटी ने जो मायरा भरा, वो मिसाल है,
रेगिस्तान की मिट्टी का ये कमाल है।
निष्कर्ष: रेगिस्तान की मिट्टी का जादू
प्रह्लाद सिंह भाटी का यह कार्य रेगिस्तान की उस मिट्टी की खुशबू का प्रतीक है, जिसमें भाईचारा, मोहब्बत और मानवता का जादू बस्ता है। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए स्मरणीय बन गई, बल्कि पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा भी बनी। रेगिस्तान की यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्ची मोहब्बत और भाईचारा किसी भी तपिश को सुकून में बदल सकता है।