उत्तर प्रदेश में अवैध वक्फ संपत्तियों पर योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई: संपत्तियों की जब्ती का आदेश

उत्तर प्रदेश में अवैध वक्फ संपत्तियों पर योगी सरकार की बड़ी कार्रवाई: संपत्तियों की जब्ती का आदेश

लखनऊ, 4 अप्रैल 2025: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ने अवैध रूप से घोषित और कब्जाई गई वक्फ संपत्तियों के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला किया है। सरकार ने सभी जिलाधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि वे अपने-अपने जिलों में ऐसी संपत्तियों की पहचान करें और उन्हें जब्त करने की प्रक्रिया शुरू करें। यह निर्णय हाल ही में संसद में पारित वक्फ संशोधन बिल के बाद लिया गया है, जिसका मकसद वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाना और अवैध कब्जों पर लगाम लगाना है।

वक्फ संपत्तियों की संख्या और स्थिति

सुन्नी वक्फ बोर्ड के पास 1,24,355 और शिया वक्फ बोर्ड के पास 7,785 संपत्तियां दर्ज हैं, जो कुल मिलाकर 1,32,140 संपत्तियां बनती हैं। हालांकि, राजस्व विभाग के आधिकारिक रिकॉर्ड के अनुसार, इनमें से केवल 2,963 संपत्तियां ही वैध रूप से पंजीकृत हैं। इनमें सुन्नी बोर्ड की 2,533 और शिया बोर्ड की 430 संपत्तियां शामिल हैं। बाकी संपत्तियों को अवैध रूप से वक्फ घोषित किया गया माना जा रहा है। इनमें ग्राम समाज की जमीनें, सरकारी तालाब, खलिहान, पोखर और अन्य सार्वजनिक संपत्तियां शामिल हैं, जिन्हें बिना वैध दस्तावेजों के वक्फ के नाम पर दर्ज कर लिया गया।

सरकार का रुख और कार्रवाई

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने साफ किया है कि वक्फ के नाम पर मनमाने ढंग से जमीनों पर दावा करना बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, "केवल दान में दी गई संपत्तियां ही वक्फ के अंतर्गत आ सकती हैं। बिना दस्तावेजों के घोषित संपत्तियों को वैध नहीं माना जाएगा।" सरकार ने सभी 75 जिलों के जिलाधिकारियों को अवैध वक्फ संपत्तियों का ब्योरा तैयार करने और उनकी जांच करने का आदेश दिया है। इसमें संपत्तियों का नाम, स्थान, क्षेत्रफल और गाटा संख्या जैसी जानकारी शामिल की जाएगी। इसके बाद इन संपत्तियों को जब्त करने की प्रक्रिया शुरू होगी।

वक्फ संशोधन बिल का प्रभाव

संसद में हाल ही में पारित वक्फ संशोधन बिल ने इस कार्रवाई को कानूनी आधार प्रदान किया है। इस बिल के तहत वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकने और उनकी पारदर्शी निगरानी के लिए सख्त प्रावधान किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में वक्फ संपत्तियों की संख्या देश में सबसे अधिक है, लेकिन इनमें से करीब 95% संपत्तियां राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हैं। यह स्थिति दशकों से चली आ रही अनियमितताओं को दर्शाती है, जिसे योगी सरकार अब ठीक करने की दिशा में काम कर रही है।

अधिकारियों की जिम्मेदारी और जांच

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन अधिकारियों ने सरकारी जमीनों को वक्फ के नाम पर दर्ज करने में सहयोग किया, उनकी भी पहचान की जाएगी और उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वे अपने क्षेत्र में वक्फ संपत्तियों की सूची तैयार करें और उनकी वैधता की जांच करें। इसके लिए राजस्व विभाग के रिकॉर्ड को आधार बनाया जाएगा। जांच के बाद तैयार रिपोर्ट सरकार को सौंपी जाएगी, जिसके आधार पर आगे की कार्रवाई होगी।

जनता और विपक्ष की प्रतिक्रिया

इस फैसले को लेकर जनता में मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है। जहां कुछ लोग इसे सरकारी जमीनों को वापस लेने और पारदर्शिता बढ़ाने की दिशा में एक सकारात्मक कदम मान रहे हैं, वहीं विपक्षी दलों ने इसे अल्पसंख्यक समुदाय के खिलाफ कार्रवाई करार दिया है। विपक्ष का कहना है कि इससे वक्फ संपत्तियों के संरक्षण पर असर पड़ेगा। हालांकि, सरकार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह कदम केवल अवैध कब्जों को हटाने के लिए है, न कि किसी समुदाय को निशाना बनाने के लिए।

 आगे की राह

योगी सरकार का यह कदम न केवल उत्तर प्रदेश में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को व्यवस्थित करने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है, बल्कि देश के अन्य राज्यों के लिए भी एक उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है। आने वाले दिनों में जांच और जब्ती की प्रक्रिया तेज होने की उम्मीद है, जिससे यह साफ हो सकेगा कि कितनी संपत्तियां वास्तव में अवैध रूप से वक्फ के नाम पर दर्ज की गई थीं। 

इस कार्रवाई से न केवल सरकारी जमीनों को वापस लिया जा सकेगा, बल्कि वक्फ संपत्तियों के सही उपयोग को भी सुनिश्चित किया जा सकेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि यह अभियान कितनी तेजी से और प्रभावी ढंग से लागू होता है।