उत्तर प्रदेश: पूर्व RBI अधिकारी को 15 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा, ठगे गए करोड़ों रुपये

लखनऊ, 21 मार्च 2025: उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें एक पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाया गया। इस घटना में ठगों ने न केवल अधिकारी को 15 दिनों तक डिजिटल रूप से बंधक बनाए रखा, बल्कि उनके बैंक खातों से करोड़ों रुपये की ठगी भी की। इस मामले ने एक बार फिर साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते खतरे को उजागर किया है, जिसके खिलाफ सरकार और प्रशासन लगातार चेतावनी जारी कर रहे हैं।

उत्तर प्रदेश: पूर्व RBI अधिकारी को 15 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा, ठगे गए करोड़ों रुपये
उत्तर प्रदेश: पूर्व RBI अधिकारी को 15 दिनों तक डिजिटल अरेस्ट में रखा, ठगे गए करोड़ों रुपये

लखनऊ रिपोर्ट जसवंत सिंह :21 मार्च 2025: उत्तर प्रदेश में साइबर अपराध का एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जिसमें एक पूर्व भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अधिकारी को डिजिटल अरेस्ट का शिकार बनाया गया। इस घटना में ठगों ने न केवल अधिकारी को 15 दिनों तक डिजिटल रूप से बंधक बनाए रखा, बल्कि उनके बैंक खातों से करोड़ों रुपये की ठगी भी की। इस मामले ने एक बार फिर साइबर ठगी और डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते खतरे को उजागर किया है, जिसके खिलाफ सरकार और प्रशासन लगातार चेतावनी जारी कर रहे हैं। 

प्राप्त जानकारी के अनुसार, यह घटना लखनऊ के एक प्रतिष्ठित इलाके में रहने वाले 62 वर्षीय पूर्व RBI अधिकारी के साथ घटी। पीड़ित, जिनका नाम गोपनीय रखा गया है, ने बताया कि उन्हें एक दिन सुबह एक फोन कॉल आया। कॉल करने वाले ने खुद को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) का अधिकारी बताया और दावा किया कि उनके नाम से एक मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज हुआ है। कॉलर ने पीड़ित को डराया कि अगर उन्होंने सहयोग नहीं किया तो उनके बैंक खाते फ्रीज कर दिए जाएंगे और उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

इसके बाद, ठगों ने पीड़ित को व्हाट्सएप वीडियो कॉल के जरिए संपर्क में रखा और उन्हें लगातार 15 दिनों तक "डिजिटल अरेस्ट" की स्थिति में रखा। इस दौरान, पीड़ित को घर से बाहर न निकलने और किसी से संपर्क न करने की धमकी दी गई। ठगों ने दावा किया कि वे उनकी गतिविधियों पर नजर रख रहे हैं और कोई भी गलत कदम उनके लिए भारी पड़ सकता है। इस डर के माहौल में, पीड़ित ने ठगों के कहने पर अपने बैंक खातों से कई बार बड़ी रकम ट्रांसफर की, जिसकी कुल कीमत करोड़ों रुपये में बताई जा रही है।

पुलिस के अनुसार, ठगों ने पीड़ित के खातों को पूरी तरह खाली करने के बाद संपर्क तोड़ दिया। जब पीड़ित को संदेह हुआ, तो उन्होंने स्थानीय पुलिस और साइबर क्राइम सेल से संपर्क किया। प्रारंभिक जांच में पता चला कि यह एक सुनियोजित साइबर ठगी का मामला था, जिसमें अंतरराष्ट्रीय गिरोह की संलिप्तता की आशंका है। पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और ठगों के डिजिटल निशानों को ट्रैक करने की कोशिश शुरू कर दी है।

यह घटना डिजिटल अरेस्ट के बढ़ते मामलों का एक उदाहरण है, जिसमें ठग सरकारी एजेंसियों के नाम का दुरुपयोग कर लोगों को डराते हैं और उनकी मेहनत की कमाई लूट लेते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की ठगी में आमतौर पर पीड़ितों को मानसिक रूप से दबाव में लाया जाता है, जिससे वे बिना सोचे-समझे ठगों की बात मान लेते हैं। इस मामले में यह भी चिंताजनक है कि एक पूर्व RBI अधिकारी जैसा शिक्षित और जागरूक व्यक्ति भी इस जाल में फंस गया।

उत्तर प्रदेश पुलिस के साइबर क्राइम विंग ने लोगों से अपील की है कि वे ऐसी कॉल्स से सावधान रहें और किसी भी संदिग्ध स्थिति में तुरंत नजदीकी थाने या 1930 हेल्पलाइन पर संपर्क करें। सरकार भी डिजिटल अरेस्ट के खिलाफ जागरूकता अभियान चला रही है, जिसमें बताया जा रहा है कि कोई भी सरकारी एजेंसी फोन पर धमकी देकर पैसे नहीं मांगती। इस घटना ने एक बार फिर साइबर सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।