वास्तु दोष या महज संयोग? राजस्थान विधानसभा में 25 साल बाद पहली बार 200 के 200 विधायक मौजूद
25 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सदन में सभी 200 विधायक एक साथ उपस्थित रहे।

रिपोर्ट जसवंत सिंह : राजस्थान विधानसभा के नए भवन में 25 साल के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है, जब सदन में सभी 200 विधायक एक साथ उपस्थित रहे। विधानसभा स्पीकर वासुदेव देवनानी ने इस मौके पर खुशी जताते हुए कहा, "बहुत सौभाग्य की बात है... आज शायद पहला सत्र होगा, जब सदन में 200 के 200 सदस्य मौजूद हैं। पहले तो सदस्यों की संख्या एक-दो कम ही रहती थी।" उन्होंने यह भी बताया कि वास्तुकारों से सुझाव लेकर उनके आधार पर बदलाव लागू करवाए गए हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या वास्तु दोष सचमुच इसके पीछे का कारण था, या यह महज एक मिथक है? आइए, इसकी पड़ताल करते हैं।
25 साल का इतिहास और वास्तु दोष की बात
राजस्थान विधानसभा का नया भवन पिछले 25 सालों से चर्चा में रहा है, लेकिन कभी भी सभी 200 विधायक एक साथ सत्र में मौजूद नहीं हो सके। कभी कोई विधायक जेल चला गया, तो कभी किसी के आकस्मिक निधन की खबर ने सदन को अधूरा छोड़ दिया। जानकारों ने इसे विधानसभा भवन में मौजूद वास्तु दोष से जोड़ा। उनका मानना था कि भवन की संरचना में कुछ ऐसी खामियां थीं, जो इस तरह की अप्रिय घटनाओं को जन्म दे रही थीं। लेकिन क्या यह सच में वास्तु का प्रभाव था, या फिर यह सब संयोग मात्र था?
वास्तुकारों ने क्या सुझाव दिए?
स्पीकर वासुदेव देवनानी ने बताया कि वास्तु विशेषज्ञों की सलाह पर भवन में कई बदलाव करवाए गए। वास्तुकारों ने भवन की दिशाओं, प्रवेश द्वार, और बैठने की व्यवस्था को लेकर सुझाव दिए थे। माना जाता है कि मुख्य द्वार की दिशा और सभागार का लेआउट ऊर्जा प्रवाह को प्रभावित करता है। इसके अलावा, कुछ विशेषज्ञों ने भवन के आसपास के वातावरण और पानी के स्रोतों की स्थिति को भी जांचा। इन सुझावों के आधार पर विधानसभा में कई संरचनात्मक और सौंदर्यपरक बदलाव किए गए, जिनमें रंगों का चयन, प्रकाश व्यवस्था, और कुछ क्षेत्रों में दर्पणों का प्रयोग शामिल था।
क्या बदलाव हुए और उनका असर
वास्तुकारों की सलाह पर किए गए बदलावों में मुख्य रूप से सभागार की व्यवस्था को संतुलित करना और नकारात्मक ऊर्जा को कम करने के लिए कुछ हिस्सों को दोबारा डिजाइन करना शामिल था। स्पीकर के मुताबिक, इन बदलावों के बाद पहली बार ऐसा संभव हुआ कि सभी 200 विधायक एक साथ सदन में मौजूद रहे। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि यह बदलावों का असर है या फिर महज एक सुखद संयोग। जानकारों का एक तबका इसे वास्तु शास्त्र की वैज्ञानिकता से जोड़ता है, वहीं कुछ इसे अंधविश्वास का हिस्सा मानते हैं।
वास्तु दोष: सच या मिथक?
वास्तु शास्त्र भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है, जो दिशाओं और संरचनाओं के आधार पर सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाने का दावा करता है। लेकिन आधुनिक विज्ञान इसे पूरी तरह स्वीकार नहीं करता। कई विशेषज्ञ मानते हैं कि वास्तु का प्रभाव मनोवैज्ञानिक हो सकता है—जब लोग यह मान लेते हैं कि बदलाव से सकारात्मक परिणाम आएंगे, तो उनका आत्मविश्वास बढ़ता है। दूसरी ओर, विधानसभा जैसे बड़े भवन में 25 साल तक सभी विधायकों का एक साथ मौजूद न होना संयोग से ज्यादा कुछ नहीं भी हो सकता।
स्पीकर और वास्तुकारों का नजरिया
वासुदेव देवनानी ने इस उपलब्धि को वास्तु सुधारों से जोड़ा और इसे एक शुभ संकेत बताया। वहीं, बदलाव करने वाले वास्तुकारों का कहना है कि उन्होंने भवन की ऊर्जा को संतुलित करने के लिए पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों का मिश्रण अपनाया। उनके मुताबिक, ये बदलाव न सिर्फ संरचना को बेहतर बनाते हैं, बल्कि वहां काम करने वालों के मनोबल को भी बढ़ाते हैं।