वक्फ संशोधन कानून लागू: मुर्शिदाबाद में हिंसा, सुप्रीम कोर्ट में चुनौतियां, और देशव्यापी विरोध की तैयारी

मंगलवार, 8 अप्रैल 2025 से वक्फ संशोधन कानून देशभर में लागू हो गया है। गृह मंत्रालय ने इसकी आधिकारिक जानकारी दी। यह कानून पिछले हफ्ते संसद के दोनों सदनों से पारित हुआ था—2 अप्रैल को लोकसभा ने और 3 अप्रैल को राज्यसभा ने इसे मंजूरी दी। 5 अप्रैल को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की सहमति मिलने के बाद यह विधेयक कानून बन गया। हालांकि, इसके लागू होते ही देश के कई हिस्सों में विरोध शुरू हो गया है, जिसमें सबसे ताजा और गंभीर घटना पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद से सामने आई है।
मुर्शिदाबाद में हिंसा: प्रदर्शनकारियों का उग्र तांडव
मंगलवार शाम को मुर्शिदाबाद के जंगीपुर इलाके में वक्फ संशोधन कानून के विरोध में मुस्लिम संगठनों ने प्रदर्शन शुरू किया। यह प्रदर्शन जल्द ही हिंसक हो गया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया, जिसके जवाब में पुलिस को आंसू गैस के गोले और लाठीचार्ज का सहारा लेना पड़ा। स्थिति तब और बेकाबू हो गई जब भीड़ ने कई वाहनों में आग लगा दी, जिसमें पुलिस की गाड़ियां भी शामिल थीं। इस झड़प में कई पुलिसकर्मी घायल हो गए।
हिंसा के बाद इलाके में तनाव व्याप्त है। प्रशासन ने हालात को नियंत्रित करने के लिए भारी पुलिस बल तैनात किया है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, प्रदर्शनकारी इस कानून को मुस्लिम समुदाय के अधिकारों पर हमला बता रहे थे और इसे वापस लेने की मांग कर रहे थे। पुलिस का कहना है कि स्थिति अब धीरे-धीरे काबू में आ रही है, लेकिन तनाव अभी भी बना हुआ है।
वक्फ संशोधन कानून: क्या है यह और क्यों हो रहा विरोध?
वक्फ (संशोधन) अधिनियम, 2025 का मकसद वक्फ बोर्ड के कामकाज में पारदर्शिता लाना और संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना बताया गया है। इसके प्रमुख प्रावधानों में शामिल हैं:
वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों और महिलाओं को शामिल करना।
जिला कलेक्टर को वक्फ संपत्तियों के सर्वे का अधिकार देना।
वक्फ ट्रिब्यूनल के फैसलों को हाई कोर्ट में चुनौती देने की अनुमति।
"वक्फ बाय यूजर" की अवधारणा को खत्म करना, जिसके तहत बिना दस्तावेज वाली संपत्तियां भी वक्फ मानी जाती थीं।
सरकार का दावा है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय, खासकर महिलाओं और गरीब वर्गों के हित में है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने संसद में कहा था कि यह विधेयक धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करता, बल्कि प्रशासनिक सुधार पर केंद्रित है। हालांकि, विपक्ष और मुस्लिम संगठन इसे संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 का उल्लंघन मानते हैं, जो धार्मिक स्वतंत्रता की गारंटी देते हैं। उनका आरोप है कि यह कानून वक्फ संपत्तियों को सरकारी नियंत्रण में लाने और मुस्लिम समुदाय की स्वायत्तता छीनने की साजिश है।
सुप्रीम कोर्ट में 12 याचिकाएं: कानूनी लड़ाई तेज
वक्फ संशोधन बिल के कानून बनने के बाद से अब तक सुप्रीम कोर्ट में इसके खिलाफ 12 याचिकाएं दाखिल हो चुकी हैं। इनमें कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी, AAP विधायक अमानतुल्लाह खान, और केरल जमीयतुल उलेमा जैसे संगठन शामिल हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि यह कानून संवैधानिक सिद्धांतों के खिलाफ है और धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला करता है। सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इन याचिकाओं पर सुनवाई की सहमति दी थी, और जल्द ही इस पर विस्तृत सुनवाई होने की संभावना है।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड का ऐलान: 11 अप्रैल से देशव्यापी आंदोलन
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) ने इस कानून को "इस्लामी मूल्यों और संविधान पर हमला" करार देते हुए 11 अप्रैल से देशव्यापी विरोध प्रदर्शन की घोषणा की है। बोर्ड ने कहा कि यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कानून पूरी तरह निरस्त नहीं हो जाता। AIMPLB ने सभी धार्मिक और सामाजिक संगठनों से एकजुट होकर इस "अन्याय" के खिलाफ लड़ने की अपील की है। बोर्ड के मुताबिक, यह कानून सांप्रदायिक सौहार्द को नुकसान पहुंचाएगा और मुस्लिम समुदाय की धार्मिक स्वतंत्रता को कमजोर करेगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: समर्थन और विरोध का टकराव
एनडीए के सहयोगी दलों जैसे जेडीयू और टीडीपी ने इस बिल का समर्थन किया था, जिसके चलते यह संसद में पास हो सका। वहीं, कांग्रेस, टीएमसी, डीएमके, सपा और AIMIM जैसे विपक्षी दलों ने इसे "मुस्लिम विरोधी" करार दिया। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वह अपने राज्य के मुसलमानों की जमीन नहीं छिनने देंगी और बीजेपी पर देश को बांटने का आरोप लगाया। दूसरी ओर, सरकार का कहना है कि यह कानून ऐतिहासिक सुधार है, जो वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को पारदर्शी बनाएगा।
आगे क्या?
मुर्शिदाबाद की हिंसा और सुप्रीम कोर्ट में बढ़ती याचिकाएं इस बात का संकेत हैं कि वक्फ संशोधन कानून को लेकर विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। AIMPLB के प्रस्तावित आंदोलन से देशभर में तनाव बढ़ने की आशंका है। सुप्रीम कोर्ट का फैसला इस कानून के भविष्य को तय करेगा—क्या यह लागू रहेगा या इसे संशोधित अथवा रद्द किया जाएगा? फिलहाल, यह मुद्दा न केवल कानूनी, बल्कि सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी गहमागहमी का कारण बना हुआ है।
यह कानून और इसके प्रभाव अब देश की नजरों में हैं—क्या यह सुधार का नया अध्याय खोलेगा या विवादों का नया दौर शुरू करेगा, यह आने वाला वक्त ही बताएगा।