जिम्मेदारों की दोहरी लापरवाही: जर्जर स्कूल की दीवार के नीचे दो मासूम बच्चियाँ दबी, एक-की-गई-जान,-खराब-मशीनों-ने-बढ़ाई-दूसरी-घायल-की-मुसीबत
Government Rajasthan medical school hospital
जिम्मेदारों की दोहरी लापरवाही: जर्जर स्कूल की दीवार के नीचे दो मासूम बच्चियाँ दबी,एक की गई जान, खराब मशीनों ने बढ़ाई दूसरी घायल की मुसीबत
बाड़मेर जिले के चौहटन क्षेत्र के बांकाना गाँव में 22 मार्च 2025 की शाम एक सरकारी स्कूल की जर्जर दीवार अचानक ढह गई, जिसके मलबे में दबकर दो मासूम बच्चियाँ बुरी तरह प्रभावित हुईं। इस दुखद हादसे में चौथी कक्षा की छात्रा विमला की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि दूसरी छात्रा मीनाक्षी गंभीर रूप से घायल हो गई। दोनों बच्चियों को तुरंत बाड़मेर जिला अस्पताल ले जाया गया, जहाँ विमला को मृत घोषित कर दिया गया और उसका शव मोर्चरी में रखा गया। पुलिस ने मामले की जाँच शुरू कर दी है, लेकिन इस घटना ने प्रशासन की दोहरी लापरवाही को उजागर कर दिया—एक ओर स्कूल की जर्जर इमारत, दूसरी ओर अस्पताल की खराब स्वास्थ्य सुविधाएँ।
#### जर्जर दीवार बनी मौत का कारण
स्थानीय लोगों के अनुसार, स्कूल की दीवार लंबे समय से जर्जर हालत में थी और इसकी मरम्मत के लिए बार-बार शिकायत की गई थी। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। शनिवार की शाम को जब बच्चियाँ स्कूल परिसर में थीं, दीवार अचानक ढह गई और दोनों मलबे में दब गईं। गाँव वालों ने तुरंत मलबा हटाकर बच्चियों को निकाला और अस्पताल पहुँचाया, लेकिन विमला को बचाया न जा सका। लोगों का कहना है कि अगर प्रशासन ने पहले ध्यान दिया होता, तो यह हादसा न होता।
#### अस्पताल की लापरवाही ने बढ़ाई मुश्किलें
हादसे के बाद मीनाक्षी को बचाने की उम्मीद बाड़मेर जिला अस्पताल से थी, जो मेडिकल कॉलेज के साथ संचालित होता है। लेकिन यहाँ की स्थिति ने परिजनों को और परेशान कर दिया। मीनाक्षी को तत्काल सीटी स्कैन और सोनोग्राफी की जरूरत थी, लेकिन अस्पताल में ये मशीनें कई महीनों से खराब पड़ी थीं। डॉक्टरों ने परिजनों को निजी लैब से जाँच करवाने को कहा, जिसके चलते वे करीब दो घंटे तक भटकते रहे। निजी लैब से रिपोर्ट लाने के बाद ही इलाज शुरू हो सका, जिससे मीनाक्षी की हालत और बिगड़ गई।
#### परिजनों का गुस्सा, प्रशासन पर सवाल
मीनाक्षी के परिजनों का कहना है कि अस्पताल में सुविधाओं का अभाव उनकी बच्ची के लिए जानलेवा साबित हुआ। एक परिजन ने रोते हुए कहा, "हमारी बच्ची दर्द से तड़प रही थी, लेकिन हमें बाहर जाँच के लिए भेज दिया गया। मेडिकल कॉलेज में ऐसी हालत क्यों?" गाँव वालों ने भी प्रशासन की दोहरी लापरवाही पर गुस्सा जाहिर किया। उनका आरोप है कि स्कूल की जर्जर दीवार ने विमला की जान ली, और अस्पताल की खराब मशीनों ने मीनाक्षी की जिंदगी खतरे में डाल दी।
#### डॉक्टरों की मजबूरी, प्रशासन की उदासीनता
अस्पताल के डॉक्टरों ने बताया कि सीटी स्कैन और सोनोग्राफी मशीनें खराब होने की सूचना जिला प्रशासन को कई बार दी गई, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। बिना नाम छापने की शर्त पर एक चिकित्सक ने कहा, "हम मरीजों को बाहर भेजने को मजबूर हैं, क्योंकि हमारे पास विकल्प नहीं है
#### सुधार की माँग, भविष्य की चिंता
इस त्रासदी के बाद गाँव वालों ने माँग की है कि स्कूलों की जर्जर इमारतों की तुरंत मरम्मत हो और अस्पताल में खराब मशीनों को ठीक कर स्वास्थ्य सेवाएँ बेहतर की जाएँ। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द कार्रवाई न हुई, तो वे सड़कों पर उतरेंगे। यह घटना ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की दयनीय स्थिति को सामने लाती है, जहाँ प्रशासन की दोहरी लापरवाही मासूमों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है।
क्या इस हादसे के बाद प्रशासन जागेगा, या यह सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा? यह सवाल हर किसी के मन में कौंध रहा है।